Campaigning ends for first phase of Gujarat elections, polling will be held on December 1
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    • सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार के अध्यादेश को किया निलंबित

    भंडारा. पिछले दो साल से जिला परिषद एवं पंचायत समिति चुनाव का इंतजार हो रहा था. कभी कोरोना तो कभी ओबीसी आरक्षण की वजह से चुनाव टलते गए. इस बीच अपने मतदाताओं में अपनी पैठ बनाने के चक्कर में उम्मीदवार कर्ज के जंजाल में फंसते गए. जिन्होने कर्ज लेकर अच्छी खासी तैयारी की.

    आरक्षण की लाटरी ने पानी फेर दिया और बेचारे उम्मीदवारों के आंखों से आंसू बहने लगे. यही स्थिति सोमवार को चुनाव नामांकन के आखिरी दिन रही. एड़ी चोटी का जोर लगाने, नेताओं के घर चक्कर लगाने, मिन्नते करने के बाद अब जब टिकट मिला है, नामांकन दाखिल करने के बाद शाम में खबर आई कि सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी आरक्षण पर महाराष्ट्र सरकार के अध्यादेश का स्थगिती दी है. यह खबर आग की तरह फैली. 

    नेता, उम्मीदवार से लेकर कार्यकर्ताओं के जोश पर पानी फिर गया है. आम तौर पर नामांकन के बाद से प्रचार शुरू हो जाता है. लेकिन समाचार लिखे जाने के समय सभी उम्मीदवार अपने कार्यकर्ताओं के साथ एक दूसरे के साथ गम साझा कर रहे थे. कार्यकर्ता उम्मीदवार को ढांढस बंधा रहे थे कि सब कुछ ठीक होगा. अब सभी की उम्मीद मंगलवार को होने वाले घटनाक्रम पर टिकी हुई है.

    क्या टलेंगे चुनाव?

    राज्य सरकार ने स्थानीय निकाय चुनाव में ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण देने का अध्यादेश जारी किया था. अध्यादेश पर फैसला सुनाते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण नहीं दिया जा सकता. ऐसे में भंडारा जिले में 21 दिसंबर को होने वाले चुनाव को टालने की संभावना का डर सभी राजनीतिक दलों को परेशान कर रहा है.

    प्रशासन के पास जानकारी नहीं

    जिप, पंस एवं नगर पंचायत चुनाव की प्रक्रिया के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए सभी चुनाव विभाग से संपर्क कर रहे थे. लेकिन उनके पास में भी कोई जानकारी नहीं थी.  

    रणनीति, दलबदल हुई हवा

    जिप, पंस एवं नगर पंचायत चुनाव में सत्ता पर काबिज होने के लिए सभी राजनीतिक दलों ने सधी रणनीति के साथ तैयारी शुरू की. जिन्हे टिकट नहीं मिला, उन्होंने मौका देख दलबदल किया. लेकिन अब भविष्य में क्या घटनाक्रम होता है. इसकी चिंता से रणनीति, दलबदल जैसे नाटकीय घटनाक्रम का रोमांच एवं रोचकता पूरी तरह से हवा हो चुकी है

    . नेता से लेकर सभी उदास नजर आ रहे थे. क्या सुप्रीम कोर्ट के आदेश का  असर राज्य में चल रहे नगर पंचायत, भंडारा जिला परिषद एवं पंचायत समिति के चुनाव पर भी पड़ेगा? उन उम्मीदवारों का क्या होगा जिन्होंने ओबीसी वर्ग से नामांकन दाखिल किया है? ऐसा प्रश्नों का जवाब सभी जानना चाह रहे थे. लेकिन जवाब नहीं मिल पा रहा था.

    दाखिल हुए हजारों नामांकन

    नाम प्रस्तुति के अंतिम दिन हजारों ने नामांकन दाखिल किया. जिला परिषद और पंचायत समिति चुनाव के लिए अब तक 1,024 उम्मीदवारों ने नामांकन दाखिल किया है. सभी उम्मीदवारों ने किसी भी त्रुटि से बचने के लिए एहतियात के तौर पर एक से अधिक नामांकन दाखिल किए हैं.

    नामांकन के लिए उमड़ी भीड़

    सोमवार को नामांकन दाखिल करने का आखिरी दिन होने के कारण भंडारा समेत सभी तहसील कार्यालयों में दोपहर से शाम तक भीड़ लगी रही. कोई समर्थकों के साथ नामांकन दाखिल कर रहा था. तो कोई आवेदन के लिए जरूरी दस्तावेज जमा कर रहा था.

    कईयों ने की घर वापसी  

    उम्मीदवारी पाने की उम्मीद पूरी नहीं होने पर कई कार्यकर्ताओं ने अपने पूराने दल में वापस लौटने में भलाई समझी.इसमें एक है. अविनाश ब्राम्हणकर, जो 2019 के विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा में शामिल हुए थे. लेकिन सांसद सुनील मेंढे की कार्यप्रणाली उन्हे रास नहीं आयी. साथ ही भाजपा से उम्मीदवारी मिलने वादा नहीं निभाया गया. उन्होने प्रफुल पटेल के नेतृत्व पर विश्वास रखते हुए राकां में शामिल हो गए.