नवेगाव नागझिरा के कोका जंगल में पहले ही दिन पर्यटकों का लगा तांता

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    भंडारा. वनविभाग की ओर से प्रतिवर्ष मानसून में 1 जुलाई से 30 सितंबर इन तीन माह की अवधि में जंगल सफारी व पर्यटकों के प्रवेश पर पाबंदी रहती है. इसी तरह नवेगाव नागझिरा आरक्षित क्षेत्र का कोका अभयारण्य इस अवधि में बंद रहा तथा तीन माह बाद शनिवार 2 अक्टूबर से फिर से पर्यटकों के लिए शुरू हुआ है. इससे पर्यटकों के साथ कर्मचारी व गाइडस में काफी उत्साह नजर आया. 

    शनिवार को पहले दिन जंगल सफारी करने के लिए सुबह में 25 पर्यटक तथा शाम को केवल 12 पयर्टक पहुंचे थे. इस समय कोका अभयारण्य के रानगवा प्रवेशद्धार से सुबह के समय में चार जिप्सी वाहनों से तथा शाम को दो जिप्सी वाहनों से पयर्टकों को जंगल सफारी करायी गयी. इससे विभाग को लगभग 13 हजार 200 रु. का राजस्व प्राप्त हुआ है ऐसी जानकारी संबंधित विभाग से मिली है. 

    उल्लेखनीय है कि प्रतिवर्ष मानसून में 1 जुलाई से 30 सितंबर तक जंगल परिसर को पर्यटकों के लिए बंद रखा जाता है. ताकि वनविभाग की ओर से इस दौरान जंगलों में सडकों की मरम्मत करने सहित अन्य छोटे बडे काम कराए जाते है. 

    बताया जाता है कि यहां अभयारण्य में प्रतिदिन सुबह 6 बजे से सुबह 10 बजे तक तथा दोपहर 2 बजे से शाम 6 बजे तक जंगल सफारी करायी जाती है. वहीं प्रत्येक शुक्रवार को यह अभयारण्य पर्यटकों के लिए बंद रहता है. 

    पर्यटक यहां मौजूद जिप्सी वाहनों से तथा स्वयं के वाहनों से भी पर्यटन कर सकते है. इसके लिए उन्हें तय शुल्क अदा करना होता है. इसके लिए पर्यटकों को इको टूरिजम वेबसाइट पर तथा गेट पर पंजीयन करना पडता है. 

    शुल्क निर्धारित 

    पर्यटकों को जंगल सफारी के लिए प्रति व्यक्ति 100 रु. तथा बच्चों के लिए 50 रु. शुल्क निर्धारित किया है. साथ ही गाड के 350 रु. देने होते है. स्वयं का वाहन रहने पर 300 रु. शुल्क देना होता है. जिप्सी वाहन का किराया 2000 रु. है. सुबह व शाम के समय जंगल सफारी की जाती है.