सूखने लगी धान की फसल, पानी-बिजली की कमी

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    करडी:  क्षेत्र के किसानों ने ग्रीष्मकालीन धान की बुआई की. लेकिन बढ़ते तापमान के कारण धान के खेतों में एक ही दिन में पानी कम हो रहा है. लोम्बी (बालियों) में दाने भरने की राह पर है. इस समय अनाज को सिंचाई के पानी की जरूरत होती है. लेकिन सिंचाई के कुएं का पानी नीचे चला गया है.  इसलिए इलेक्ट्रिक मोटर पंप के लिए कुएं से पानी निकालना मुश्किल होता जा रहा है. इसलिए किसान पानी की कमी से धान की फसल बिगड़ने की आशंका जता रहे हैं.

    खरीफ में भी हुआ था भारी नुकसान

    करडी क्षेत्र में भारी बारिश और वापसी की बारिश के कारण, खरीफ सीजन धान की फसल पर बेमौसम बारिश भी हुई थी जिससे किसानों को भारी नुकसान हुआ. पिछले साल की तरह इस साल भी फसल उत्पादन लागत बहुत अधिक थी. उत्पादन की लागत भी नहीं निकल पाई है. खरीफ सीजन में धान का उत्पादन घाटे में चला गया था. इसलिए सिंचाई की सुविधा वाले किसानों ने गर्मी के मौसम में भी धान की बुआई की. 

    खरीफ सीजन की फसल की तुलना में गर्मी की फसल में बीमारियों का प्रकोप कम था. लेकिन मार्च के बाद से तापमान में बढ़ोतरी होना शुरू हो गई. धान के खेत में सिंचाई का पानी एक दिन के लिए दिया जाता है लेकिन पानी खेत में नहीं रहता. इसलिए कुछ किसानों को प्रतिदिन अपने ग्रीष्म धान की सिंचाई कर रहे हैं.  हालांकि पानी के वाष्पीकरण के कारण पानी के लगातार बिजली के मोटर पंपों द्वारा कुओं से पानी निकालना मुश्किल हो रहा है. क्योंकि गर्मियों में सिंचाई के कुओं का पानी गहरा जाता है. इसमें बिजली का लोडशेडिंग होने से किसानों की समस्या बढ़ती जा रही है.