Municipal elections postponed till February 12 amid rising corona cases in West Bengal
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    भंडारा. जिला परिषद तथा पंचायत समिति चुनाव के लिए ड्रा पद्धति से आरक्षण की घोषणा के बाद उम्मीदवारों के चयन के लिए जोड़तोड़ शुरु हो गया है. इच्छुकों की ओर से मोर्चाबंदी भी की जा रही है. मिनी मंत्रालय के रूप में ख्यात जिला परिषद में विगत 14 माह से प्रशासक का राज था.

    कोरोना के कहर के कारण जिला परिषद, पंचायत समिति के चुनाव को रोक दिया गया. इस चुनावी जंग में उतरने के लिए हर दिन के इच्छुकों की ओर से अपने-अपने तरह से कोशिशें की जा रही हैं. दीपावली के बाद ग्रामीण क्षेत्रों में होने वाले मंडई उत्सव में भी जिला परिषद तथा पंचायत समिति चुनावों के लिए मोर्चाबंदी की जा रही है. 

    जिला परिषद चुनाव की तिथि घोषित होने के बाद उम्मीदवारों की तलाश का काम पूरा हो जाएगा. शुक्रवार को ड्रा के माध्यम से आरक्षण की घोषणा के बाद शनिवार को ग्रामीण क्षेत्रों में सबसे बड़ा विषय यही था कि आरक्षण तो हो गया, अब चुनाव की तिथि कब घोषित होगी, उम्मीदवार कौन-कौन से होंगे.

    हर दिन राजनीतिक समीकरण बदलते-बिगड़ते नज़र आएंगे, जिन्हें टिकट मिलने की उम्मीद है, उनकी तैयारियां अंदरुनी स्तर पर शुरु हो जाएंगी और जिनका टिकट कटने की आशंका रहेगी, वे दूसरी पार्टी में जाकर चुनावी जंग में उतरने की रणनीति बनाएंगे. बताया जा रहा है कि इस चुनावी जंग में जो सर्वसाधारण वर्ग मैदान में उतरेंगे उनमें सबसे ज्यादा रंगत होगी.

     उल्लेखनीय है कि जिला परिषद के 16 गुटों के आरक्षण में बदलाव हुआ है. जिसमें बहुत से लोगों को नुकसान उठाना पड़ा है. वर्षभर चुनावी जंग में उतरने वालों को अपनी पत्नी को उतारना पड़ेगा. सर्वसाधारण वर्ग में गणेशपुर, खोकरला, धारगांव, कुंभली, करडी. बेटाला, पांचगांव, आंधलगांव, बपेरा इन क्षेत्रों का समावेश है, इनमें से गणेशपुर, धारगांव, खोकरला ये तीन क्षेत्र सर्वसाधारण वर्ग के हैं.

    इनमें से गणेशपुर से चुनावी जंग में उतरने के लिए कई दिग्गज तैयार हैं. अब देखना यह है कि आने वाले दिनों में सर्वसाधारण वर्ग से किसे टिकट मिलती है और किसे नहीं. बहरहाल, आरक्षण से ड्रा होने के बाद अब निगाहें आने वाले दिनों पर टिकी हुई हैं और हर ओर से यही आवाजें गूंज रही हैं कि आगे आगे देखो होता है क्या.