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    भंडारा. महाराष्ट्र राज्य के सभी स्थानीय स्वशासी निकायों और निजी प्रबंधन स्कूलों में ‘पवित्र’ कम्प्यूटरीकृत प्रणाली के माध्यम से शिक्षकों की भर्ती के लिए ‘शिक्षक योग्यता और बुद्धि परीक्षण’ (टीईटी)-2022 परीक्षा ऑनलाइन आयोजित की जाएगी. इसके लिए ऑनलाइन आवेदन आमंत्रित किए गए है. इसके लिए जो परीक्षा शुल्क लिया जा रहा है वह अभ्यर्थियों का सिरदर्द बढा रहा है.

    परीक्षा शुल्क के लिए अभ्यर्थियों को 950 रुपये से 850 रुपये तक का भार वहन करना पड़ रहा है. बहुत से अभ्यर्थी रोज़गार, दिहाड़ी मजदूरी और निजी काम करके रोज़गार की उम्मीद में अपना दिन काट रहे हैं. कई लोगों का कहना है कि सरकार एक तरह से मनमाना शुल्क वसूल कर प्रतिकूल आर्थिक स्थिति में पड़े अभ्यर्थियों का गला घोंट रही है.

    अनाथ और विकलांगों को भी नहीं छोडा

    ओपन कैटेगरी (अनारक्षित) के उम्मीदवारों के लिए 950 रुपये, अनाथ और विकलांग उम्मीदवारों सहित पिछड़े वर्ग / आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के उम्मीदवारों के लिए 850 रुपये परीक्षा शुल्क रखा गया है.इसके अलावा, बैंक शुल्क और उस पर देय कर अतिरिक्त होंगे. यह स्पष्ट किया गया है कि निर्धारित अवधि के भीतर परीक्षा शुल्क का भुगतान करने में असमर्थ रहने वाले उम्मीदवारों पर संबंधित परीक्षा के लिए विचार नहीं किया जाएगा. निर्धारित परीक्षा शुल्क का भुगतान आठ फरवरी तक ऑनलाइन करना है. 

    साल में एक बार परीक्षा का था निर्णय

    वर्ष 2017 में प्रदेश के निजी, सहायता प्राप्त, गैर-सहायता प्राप्त, सहायता प्राप्त एवं राज्य के समस्त प्रबंधन के घोषित पात्र विद्यालयों में अभिक्षमता एवं बुद्धि परीक्षण के अंकों (टीईटी) के आधार पर शिक्षण स्टाफ की भर्ती करने का निर्णय था. उसके लिए एक पवित्र पोर्टल बनाया गया.यह परीक्षा हर छह महीने या साल में एक बार कराए जाने का निर्णय था.

    गैर अपराधिक प्रमाणपत्र कहां से लाए

    उम्मीदवारों को इस परीक्षा के लिए निर्धारित समय सीमा के भीतर आवेदन के साथ गैर-अपराधिक प्रमाण पत्र जमा करना होगा.इससे इन अभ्यर्थियों के मन में सवाल उठ रहा है कि आठ दिन में यह प्रमाण पत्र कहां से लाएं? 

    करोडो होंगे जमा खजाने में

    शिक्षक योग्यता परीक्षा के लिए परीक्षा शुल्क के रूप में आवेदनों के साथ स्वीकृत राशि से शिक्षा विभाग के राजस्व में करोड़ों रुपए जमा होंगे. लेकिन, उसके लिए आम, गरीब और जरूरतमंद उम्मीदवारों पर भारी आर्थिक बोझ पड़ने वाला है.सभी की आर्थिक स्थिति एक जैसी नहीं होती, लेकिन बहुत से लोग प्रतिदिन मजदूरी और रोजगार करके शिक्षा प्राप्त करते हैं.आरोप है कि परीक्षा की प्लानिंग के नाम पर अभ्यर्थियों की जेबें काटी जा रही हैं. 

    पांच साल के बाद यह परीक्षा हो रही है. सरकार ने शिक्षक बनने के लिए इस परीक्षा को पास करने की शर्त रखी है. कई उच्च शिक्षित बेरोजगार हैं जो इसके लिए अर्हता प्राप्त करते हैं. कई की आर्थिक स्थिति डांवाडोल है.ऐसे में मामूली शुल्क लिया जाना चाहिए था. हालांकि सरकार अपनी तिजोरी भरने के लिए मनमाने चार्ज लगाकर पढ़े-लिखे बेरोजगारों का गला घोंट रही है.

    प्रमोद केसलकर (अध्यक्ष- यूथ फॉर सोशल जस्टिस)

    कोरोना के चलते कई लोगों की आर्थिक स्थिति पहले से ही खराब है. इसलिए मामूली परीक्षा शुल्क लिया जाना चाहिए. मनमाना शुल्क वसूल कर पात्र गरीब और सामान्य वर्ग के परीक्षार्थियों को परीक्षा में बैठने से वंचित करने का प्रयास है.परीक्षा पास करने के बाद भी नौकरी मिलने की गारंटी नहीं है, यह केवल पैसे ऐंठने की चाल है.

    विनोद वट्टी (जिलाध्यक्ष-संभाजी ब्रिगेड)