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    • सच साबित हुई सिर मुड़ाते ही पड़े ओले की कहावत 

    भंडारा. भाव को लेकर हमेशा किसानों को नुकसान ही सहना पड़ा है. इस बार धान के भाव को लेकर किसानों तथा सरकार के बीच खींचतान के बाद अब किसानों को सोयाबीन की घटी दरें रुला रही हैं. किसान सोय़ाबीन को अच्छा भाव मिलेगा इस बात से आश्वस्त था, लेकिन दुर्भाग्य से उसे भी सोयाबीन का भाव मनमाफिक नहीं मिला.

    सोयाबीन की फसल जब बाजार में दाखिल हुई थी, उस वक्त उसका भाव 10 हजार रूपए बोला गया था. जुलाई माह में तो इसका भाव 11 हजार रूपए प्रति क्विंटल पहुंच गया था, उससे किसान यह कयास लगा रहे थे कि इस बार उनके लिए सोयाबीन अच्छी कमाई का साधन बनेगा, इसीलिए इस वर्ष किसानों ने 715 हेक्टेयर क्षेत्र में सोयाबीन की बुवाई की थी.  2020 में 613 हेक्टर, 2019 में 330 तथा 2018 में 465 हेक्टर क्षेत्र में सोयाबीन की बुवाई किसानों ने की थी.

    सोयाबीन से अच्छी कमाई की उम्मीद रखने वाले किसानों को सोयाबीन के चढ़ते उतरते भाव का भी सामना करना पड़ा है.  जनवरी 2020 में सोयाबीन का प्रति क्विंटल भाव 2900 रुपए बोला गया, जबकि जून 2020 में इसका भाव 4200 रूपए प्रति क्विंटल बोला गया. अक्टूबर 2020 में सोयाबीन  के प्रति क्विंटल भाव में 11 रुपए की कमी आई और वह 4200 रुपए से घटकर 3100 रुपए बोला गया.

    जनवरी 2021 में सोयाबीन का प्रति क्विंटल भाव सर्वोच्च स्तर पर रहा और वह 7780 रुपए बोला गया. जून 2021 में एक बार फ्रिर सोयाबीन का भाव शीर्ष स्तर पर रहा और बढ़कर 11080 रुपए प्रति क्विंटल बोला गया, लेकिन सितंबर 2021 में सोयाबीन के भाव में भारी गिरावट आई और वह 6600 प्रति क्विंटल की दर पर आ गया. 

    पिछले वर्ष सोयाबीन की दर अक्टूबर-नवंबर माह में सिर्फ 3500 से 4000 रुपए प्रति क्विंटल बोला गया था, लेकिन उसके बाद मई-जून की कालावधि में सोयाबीन का भाव 10 हजार रूपए प्रति क्विंटल तक पहुंच गया. राज्य में बुलढाणा, लातूर जिले में तो सोयाबीन का प्रति क्विंटल भाव 11,800 रूपए तक पहुंच गया था.

    इस कारण नए सोयाबीन की आवक में काफी वृद्धि हुई. लगातार ज्यादा दर होने के कारण किसानों ने सोयाबीन को बजार में न उतारने का मन बनाया और सोयाबीन को अपने घर में ही रखने का निर्णय लिया, लेकिन जब कुछ समय बात सोयाबीन को फिर बाजार में उतारा गया तो उसे केवल 6600 रूपए का ही भाव मिला. जानकार भले यह दावा करें कि सोयाबीन के भाव में आने वाले दिनों में  लेकिन और तेजी आएगी लेकिन आर्थिक तंगी से परेशान किसान सोयाबीन को जो भाव मिल रहा है, उस पर उसे बेचने के लिए वह तैयार है. अब देखना यह है कि सोयाबीन किसानों को ज्यादा कमाई करने वाली फसल साबित होती है, या नहीं.