तुमसर. एसटी बस सेवा 100 दिनों से अधिक समय से बंद होने से इसका असर तहसील के स्कूली बच्चों पर पड़ रहा है. कोरोना के बाद एसटी बंद ने व्यवसाय को भी पूरी तरह से प्रभावित किया गया है. अब 10 वीं एवं 12 वीं की परीक्षाएं शुरू होने को लेकर अभिभावकों की जेब ढीली होने लगी है.
क्षेत्र के लोग जिले के पालकमंत्री से सवाल कर रहे हैं कि, राज्य के मुख्यमंत्री समेत जिम्मेदार मंत्री एसटी हड़ताल खत्म करने के लिए कुछ क्यों नहीं कर रहे हैं.
एसटी बस बंद होने से निजी वाहन चालको को अधिक किराया देना पड़ रहा है. यह सामान्य परिवार के स्कूली बच्चे के लिए वहन करने योग्य नहीं है. रोजाना स्कूल पहुंचने के लिए अधिक मात्रा में किराया कहां से देंगे यह प्रश्न माता-पिता के समक्ष खड़ा हुआ है. अब छात्रों के लिए यह कहने का समय आ गया है कि घर पर रहकर ही पढ़ाई करना बेहतर होगा. यहां केवल छात्र ही नहीं तो नोकरी एवं काम धंदे के लिए कार्यस्थल पर एसटी से यात्रा करने वालो का भी गणित बिगड़ गया है.
अभिभावकों द्वारा आरोप लगाया जा रहा है कि, राज्य सरकार एवं सरकार के मंत्री हड़ताल खत्म करने के लिए कुछ नहीं कर रहे हैं. एस टी की स्थापना के बाद पहली बार 100 दिनों से अधिक समय से हड़ताल चल रही है. इससे राज्य में जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है.
अभी कुछ दिनों बाद 10 वीं एवं 12 वीं की परीक्षाएं शुरू होंगी. कुछ परीक्षाएं शुरू हो गई हैं. लेकिन छात्रों की हालत पेचीदा नजर आती है. निजी परिवहन से यात्रा करवाना माता-पिताओ के लिए काफी कठिन है.
एसटी की हड़ताल में जिम्मेदार मंत्री कोई भूमिका नहीं निभा रहे हैं. दूसरी ओर यात्रा करने वाले लोगों के मन में एक ही प्रश्न है कि यह हड़ताल कब समाप्त होगी.
सरकार द्वारा तत्काल निर्णय लेने की आवश्यकता-भुरे
उड़ान सामाजिक संस्था की अध्यक्ष कल्याणी भुरे ने कहा कि, एसटी हड़ताल से विद्यार्थियों के साथ ही सभी वर्गों के लोगों को परेशानी हो रही है. एवं निजी वाहनों से यात्रा करना गरीब एवं सर्वसामान्य लोगों को कठिन है इस कारण सरकार द्वारा तत्काल निर्णय लेकर लोगों को राहत दिलाने की आवश्यकता है.