
भंडारा. महाराष्ट्र राज्य परिवहन निगम की खटारा बसें कहीं भी और कभी भी बंद पड जाती है.कई बार इन बसों को हल्के सुधार के बाद आगे दौडा दिया जाता है लेकिन कई बार किसी दूसरी बस से यात्रियों को उनके गंतव्य पर पहुंचाने की नौबत आई है.यह स्थिति बार बार निर्मित हो रही है. हाल ही में यवतमाल से गोंदिया जा रही बस रात के समय सडक अर्जुनी के एक छोटे से कस्बे में खडी हो गई. इस बस की हेडलाइट नहीं जल पा रही थी.पीछे से आ रही बस से सभी सवारियों को ढोया गया. लेकिन इस चक्कर में यात्रियों का एक डेढ घंटा बर्बाद हो गया.
जिले के कई ग्रामीण सड़कों की हालत बद से बदतर हो गई है. एसटी बस ग्रामीण रास्तों पर हिचकोले मारते हुए आगे बढ़ती है. यात्रियों को बस के सफर में परेशान होते देखा जा सकता है. मार्गों की दयनीय स्थिति नया विषय नहीं है. इसमें भी विकास का ढोल पीटने वाले जनप्रतिनिधि मार्गों का भूमिपूजन, लोकार्पण करते दिखाई देते हैं. जिले में अनेक रास्तों की हालत खराब हो गई है. इन जर्जर मार्गों का असर एसटी बसों पर पड़ रहा है. जिससे अनेक मार्गों पर यात्री सेवा तकलीफ में आ गई है. इतना ही नहीं, एसटी बसों के मार्ग बदलने पड़ रहे हैं. इसी तरह अनेक जगहों पर फेरी बंद करने की नौबत आ गई हैं.
सड़कों की गुणवत्ता पर ध्यान नहीं
जिले को खराब रास्तों का ग्रहण लगा है. करोड़ों रु. की निधि रास्तों पर हर वर्ष खर्च किया जाता है. लेकिन मार्ग निर्माण की गुणवत्ता व स्तर खोजने का काम शासन व प्रशासन नहीं करता है. जिससे रास्ते बुरी हालत में पहुंच जाते हैं. जबकि मार्गों का निर्माण करने वाले ठेकेदार मालामाल हो रहे हैं. बारिश के दिनों में मार्गों की हालत अधिक खराब होती है. जहां से यातायात करना खतरे से खाली नहीं है. यह खतरा दुपहिया व फोर वीलर वाहनों तक सीमित नहीं है. बल्कि अनेक बार रापनि की बसों को भी उखड़े व खराब रास्तों से परेशानी का सामना करना पड़ता है. इन खराब रास्तों से एसटी के नहीं जा सकने पर उस मार्ग की बस फेरी बंद करनी पड़ती है.