लालपरी के सड़क पर उतरने को लेकर सस्पेंस, सरकारी घोषणा से खुश नहीं आंदोलनकारी

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    • सरकारी बनाने पर अड़े एसटी कर्मचारी

    भंडारा. आज भी गरीब, मध्यमवर्गीय एवं उच्च मध्यमवर्गीय परिवारों को यात्रा के लिए एसटी पर पूरा भरोसा है. बचत से लेकर सुरक्षितता की गारंटी का दूसरा नाम एसटी है. लाल डिब्बा, लाल परी, एशीयाड, हिरकणी, शिवशाही, विठाई जैसे कई नामों से एसटी को जाना जाता है. इन नामों को यात्री इस तरह से लेते है.

    जैसे वह किसी अपनों का परिचय दे रहे है. कोरोना के समय में पंढरपुर की पैदल वारी की जगह एसटी की वारी ने ली. जिसमें संतों की पादुकाएं पंढरपुर तक पहुंची. महाराष्ट्र के सामाजिक जीवन में एसटी की जगह अन्य कोई नहीं ले सकता. किंतु एसटी कर्मचारियों की राज्य स्तरीय हडताल की वजह से पूरा जनमानस बुरी तरह से प्रभावित हुआ.

    दीवाली मनाने के लिए कई परिवार अपने गृह ग्राम नहीं पहुंच सके. बुधवार को बडी उम्मीदें बंधी, एसटी कर्मचारियों को संदेश मिला कि शाम तक अच्छी खबर आ रही है. लेकिन जब शाम में परिवहन मंत्री ने पत्र परिषद ली. बडी बडी घोषणाएं हुई. लेकिन एसटी कर्मचारियों के चेहरे पर मायूसी साफ झलक रही थी. जैसे की अनुमान है, एसटी नेताओं के बयान सामने आ रहे है. उत्सुकता चरम पर है कि परिवहन मंत्री के आह्वान के अनुरूप कितने कर्मचारी गुरुवार को सुबह 8 बजे ड्यूटी पर ज्वाइन होते है? एवं एसटी का लाल डिब्बा सड़क पर दिखाई देता है या नहीं.

    कास्ट्राईब संघटन ने कामगारों पर छोड़ा फैसला : विजय नंदागवली

    कास्ट्राईब एसटी कामगार संगठन प्रादेशिक सचिव विजय नंदागवली ने सरकारी घोषणाओं को लेकर मिली जुली प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि ज्यादातर मुद्दों पर आम राय बनी है. सरकार में विलीनीकरण के मुद्दे को लेकर अदालत पर भरोसा करना चाहिए. अगर मनमुताबिक फैसला नहीं निकलता. आंदोलन किया जा सकता है. उन्होने कहा कि कामगार एवं कर्मचारियों को समाधान हुआ है या नहीं यह कल सुबह ही पता चल सकेगा.

    सुबह में साफ होगी तस्वीर : भगीरथ धोटे

    राष्ट्रीय एसटी कामगार कांग्रेस यह इंटक से जुडी संगठन के विभागीय महासचिव भगीरथ धोटे ने कहा कि वेतनवृद्धि, समय पर वेतन, ज्यादतियों पर अंकुश जैसे कई मुद्दों पर सरकार ने कर्मचारी हित में निर्णय लिया है. ऐसे में विलीनीकरण के मुद्दे पर कोर्ट के आदेश का सम्मान करते हुए समय देना चाहिए. चूंकि एसटी कामगारों का आंदोलन उत्स्फूर्त आंदेालन है. इसीलिए गुरुवार को सुबह में स्थिति स्पष्ट होगी.

    एसटी वाहक विवेक पांढरकर : संतोषजनक वेतन वृद्धि नहीं मिली है. सरकारीकरण का मुद्दे पर ठोस बात नहीं कही गयी है, जिससे एसटी कर्मचारी एवं कामगार पेशोपेश में है.

    बुधवार को भी सुना रहे बस स्टैंड

    उम्मीद जताई जा रही थी कि 24 दिनों से चली आ रही हडताल बुधवार को खत्म होगी एवं गाडियां भी रवाना हो सकती है. इसी उम्मीद में कुछ लोग भी एसटी बस स्टैंड में पहुंचे थे. लेकिन जैसे जैसे घडी की सुई आगे बढ़ती गयी. सूरज ढलने के साथ ही उम्मीद की खत्म हो गयी कि एसटी यात्रियों को लेने के लिए बस स्टैंड में पहुंचेगी.

    जारी थी वीसी

    शाम को भंडारा विभाग के सूत्रों ने बताया था कि उन्हे निर्देश मिला है कि हडताल पिछे लेने की स्थिति में डीजल स्टाक एवं बसों को तैयार रखा जाए. लेकिन मंत्री परब की प्रेस के बाद भी स्थिति स्पष्ट नहीं हुई. वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए सभी विभाग के बडे अधिकारियों से संपर्क किया गया. समाचार लिखे जाने के समय तक यह  व्हीसी   जारी थी. जिससे व्हीसी में कौन से निर्देश दिए गए,इसकी जानकारी नहीं मिल सकी. हडताल का समाधान मिकलने की उम्मीद में आंदोलनकारियों ने शाम होने के पहले ही पंडाल खाली करना शुरू कर दिया था.