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    तुमसर. सरकार द्वारा उज्ज्वला योजना चलाकर प्रत्येक स्तर पर गैस का वितरण किया था. लेकिन गैस सिलेंडर की दरें प्रतिदिन बढ़ते ही जा रही है. 500 से 600 रुपए तक मिलने वाले सिलेंडर के लिए अब 1,000 से भी अधिक रुपए तक देने पड़ रहे हैं. ऐसे में गरीबों के लिए सिलेंडर खरीदी करने के लिए चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. परिणाम यह है कि ग्रामीण परिसर के नागरिक फिर से चूल्हे पर भोजन पकाने को मजबूर हैं.

    मंहगाई की मार से महिलाएं चिंतित

    सिलेंडर के कारण नागरिक केरोसिन एवं चूल्हे का उपयोग करना भूल गए थे. रसोई से जुड़े प्रत्येक काम गैस सिलेंडर के माध्यम से किए जा रहे हैं. चूल्हे से निकलने वाले धुएं से महिलाओं के आंसु निकलना बंद हुए थे. लेकिन अब महंगाई महिलाओं को चिंतित कर रही है. गैस सिलेंडर की कीमतें प्रतिमाह बढ़ने से अब पहले से 40 से 50 प्रश. अधिक रुपए खर्च करने पड़ रहे हैं. इससे रसोई का बजट बिगड़ता जा रहा है.

    दोबारा चूल्हा ही बना ग्रामीणों का सहारा

    इस कारण महिलाएं फिर से चूल्हे का सहारा लेने लगी है. महिलाओं को जंगल से आसानी से जलाऊ लकड़ियां मिल जाती है. 1,000 रु. से अधिक प्रतिमाह खर्च से बेहतर लकड़ियों के सहारे चूल्हे पर भोजन बनाने ग्रामीण लोगों के लिए आसान लगने लगा है. 

    इससे प्रदूषण फैलता है. लेकिन चूल्हे से कई नागरिकों का भोजन पक जाता है. चूल्हे पर ही भोजन के साथ-साथ स्नान के लिए पानी गरम किया जा सकता है. साथ ही नागरिक लकड़ी के कोयले का उपयोग भी ईंधन के रूप में करते हैं. 

    सिलेंडर के दाम कम कर महिलाओं को दिलाए राहत – कोडवानी

    पूर्व न.प. उपाध्यक्ष कंचन कोडवानी ने कहा कि, पेट्रोल, डिझेल, बिजली के साथ ही घरेलू गॅस सिलेंडर के दाम दिन ब दिन बढ़ने से लोगों का बजट पूरी तरह से बिगड़ गया है. ग्रामीण परिसर की महिलाओं को दोबारा जंगल का रास्ता अपनाना पड़ रहा है तो शहर की महिलाएं चिंताग्रस्त दिखाई देती है. 

    उन्होंने सिलेंडर के दाम कम कर लोगों को राहत दिलाने की मांग की गई है साथ ही सौर ऊर्जा उपकरण के दाम कम करने पर सर्व सामान्य लोगों को मुफ्त में बिजली प्राप्त हो सकती है