tendupatta
File Photo

    Loading

    भंडारा. विदर्भ के तेंदूपत्ता संकलन करने वाले श्रमिकों के लिए खुशी की खबर है. राज्य सरकार ने मंगलवार को मंत्री परिषद की बैठक में चालू वर्ष के तेंदू सीजन से श्रमिकों को सीजन की पूरी कमाई बिना किसी कटौती के प्रोत्साहन मजदूरी के तौर पर देने का निर्णय लिया है. राज्य के करीब डेढ़ लाख तेंदू पत्ता इकट्ठा करने वाले श्रमिक परिवारों को इसका लाभ होना तय है वहीं भंडारा जिले के करीब 23 हजार श्रमिकों को इसका लाभ मिलेगा.

    महाराष्ट्र वन उपज (व्यापार का विनियमन) अधिनियम, 1969 का उद्देश्य विशिष्ट वन उत्पादों के व्यापार पर प्रभावी सरकारी नियंत्रण बनाए रखना है. वर्तमान में, उक्त अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार, संग्रह और निपटान प्रक्रियाओं को ग्राम सभाओं की मांग के अनुसार गैर-अनुसूचित क्षेत्रों के साथ-साथ अनुसूचित और सामूहिक वन अधिकार स्वीकृत वन क्षेत्रों में यह कार्य तेंदूपत्ता लाइसेंसधारियों द्वारा किया जाता है. तेंदू इकट्ठा करने वाले मजदूरों को एक निश्चित मजदूरी का भुगतान किया जाता है. इसके अतिरिक्त तेंदूपत्ता विक्रय से प्राप्त स्वामित्व शुल्क को प्रोत्साहन मजदूरी के रूप में संवितरित करने का भी प्रावधान है.

    33 करोड़ का प्रशासनिक व्यय 

    पिछले टीन साल में तेंदूपत्ता संग्रहण पर प्रतिवर्ष औसतन 33 करोड़ रुपये का प्रशासनिक व्यय किया गया है. इस वर्ष से संग्रहीत स्वामित्व शुल्क की राशि में प्रशासनिक व्यय कटौती किए बिना प्रोत्साहन मजदूरी के तौर पर वह राशि श्रमिकों को मिल जाती है, तो श्रमिकों की आय बढ़ाने में मदद मिलेगी. अधिकतर श्रमिक परिवार गरीबी रेखा के नीचे, सीमित आजीविका के साधनों के साथ वन ग्रामों में जीवनयापन करते हैं. प्रोत्साहन मजदूरी राशि का भुगतान संबंधित तेंदू संग्राहकों को वन विभाग के पास राशि जमा कराने के एक माह के भीतर किया जायेगा.

    जिले के 23 हजार श्रमिकों को मिलेगा लाभ 

    भंडारा जिले में करीब 23 हजार तेंदू संकलन करने वाले श्रमिक हैं जिनमें अधिकतर महिलाओं का समावेश है. भंडारा प्रादेशिक वन विभाग उप वन संरक्षक राहुल गवई ने बताया की पिछले वर्ष का तेंदू कलेक्शन हुआ है उस पर बोनस इस साल मिलेगा. यह बोनस सीधे श्रमिक के बैंक अकाउंट मे जमा होता है. हालांकि यह बोनस मिलने में एक साल लग जाता था लेकिन नए निर्णय से श्रमिकों की आय में खासा फरक पड़ेगा. जेन श्रमिक परिवारों को 4 हजार रुपये मिलते थे उन्हें अब 10 हजार रुपये मिलेंगे और जिन्हें 10 हजार रुपये मिलते थे उनकी आय 25 हजार रुपये तक पहुँच जाएगी जो एक सकारात्मक निर्णय है.