जिप सीईओ की बच्चों से अभद्रता, यह क्या प्रेरणा दे गए जिप सीईओ?

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    भंडारा. अंग्रेज कालीन मनरो स्कूल तथा लाल स्कूल के तौर पर प्रसिद्ध स्थानीय लाल बहादूर शास्त्री विद्यालय के संरक्षण को लेकर जिलाधिकारी कार्यालय चौक में बेमियादी आंदोलन चल रहा है. आंदोलनकारियों का पक्ष है कि प्रशासन एवं सरकार की नीति की वजह से लाल स्कूल का अस्तित्व एवं शान को खतरा है. स्कूल का संचालन जिप के अंतर्गत आता है. आरोप है कि मंगलवार को स्कूल के विद्यार्थी जब जिप सीईओ को ज्ञापन देने गए. जिप सीईओ ने बच्चों के साथ शानिलतापूर्वक बर्ताव नहीं किया. उंची शिक्षा ग्रहण कर महत्वपूर्ण पदों पर बैठे अधिकारी द्वारा बच्चों के साथ किए गए बर्ताव की जिले में निंदा हो रही है.

    गर्म है मुद्दा

    मनरो स्कूल के प्रांगण में सरकारी नीति एवं निर्देश के तहत सभी प्रक्रिया को पूरा करते हुए दुकानों की चाल बनायी जा रही है. निर्माण समर्थक मानते है कि इससे स्कूल दीवार सटकर हुआ अतिक्रमण खत्म होगा. सूरज ढलने के बाद सुनसान मौके का फायदा उठाकर अवैध काम होते है. चहलपहल बढ़ने से सुरक्षितता बढेगी. व्यापार संकुल से परिसर सुंदरता बढेगी. स्कूल का महत्व बढ़ेगा. वहीं पूर्व छात्र मानते है कि इससे स्कूल की सुंदरता खत्म होगी.

    जनप्रतिनिधि निशाने पर

    इस मुद्दे पर जनमानस की तरह जनप्रतिनिधि भी दो भागों में बंट चुके है. जनप्रतिनिधि अपनी अस्पष्ट भूमिका को लेकर निशाने पर है. बहरहाल पूर्व विद्यार्थी चाहते है कि लाल स्कूल की सुंदरता के साथ छेडछाड न किया जाए.

    मंगलवार को क्या हुआ

    आंदोलन का नेतृत्व कर रहे पूर्व विद्याथी एड. शशीर वंजारी ने बताया कि अपने स्कूल के संरक्षण को लेकर स्कूल विद्यार्थी उत्स्फूर्त तरीके दो दिनों से आंदोलन स्थल पर आ रहे है. मंगलवार को यह विद्यार्थियों ने एक निवेदन तैयार किया एवं जिप सीईओ से मिलने की योजना बनाई. जब यह विद्यार्थी जिप सीईओ की गाडी के पास पहुंचे. नन्हे विद्यार्थियों के साथ जिप सीईओ ने इस तरह का बर्ताव किया. जैसे वे किसी उग्र आंदोलनकारियों का सामना कर रहे थे. बच्चों की तरफ देख कर मुस्कुराना तो दूर. निवेदन को झटक कर आगे बढ़ गए. बडे अधिकारी के इस बर्ताव को देखकर बच्चों का चेहरा रुवांसा हो गया. बेचारे बच्चे निकलते आँसुओं को पोछते हुए वापस लौट गए.

    यह क्या पाठ दे गए सीईओ

    लोकतंत्र में अभिव्यक्ति स्वतंत्रता है. आंदोलन शांतिपूर्वक चल रहा है. जिप सीईओ से शालिनतापूर्वक व्यवहार की अपेक्षा थी. बच्चों को आयपीएस, आईएएस अफसर बनने की प्रेरणा दी जाती है. यह कारण है कि बच्चे एवं युवा वर्ग के लिए आईएएस, आईपीएस दर्जे के अधिकारी किसी सेलिब्रिटी से कम नहीं होते. इस ऊंचे ओहदे पर विराजीत अधिकारी भी अपने संयम का प्रदर्शन करते हुए अपने आचरण से दूसरों को प्रभावित करने एवं प्रेरणा देने की क्षमता रखते है.

    लेकिन मंगलवार को जिप सीईओ के भ्रदतापूर्वक व्यवहार के बाद संभव है कि बच्चे बडा अधिकारी बनने से घृणा करने लगे. चमचमाती गाड़ी, मोटा वेतन एवं थाट बाट की वजह से यह करियर आकर्षक लगता है. लेकिन यह बड़े अधिकारी अगर नन्हे बच्चों के साथ कैसा बर्ताव होना चाहिए ? यह नहीं जानते तो संभव है कि बच्चे ऐसा अधिकारी बनने से तौबा करें.

    अभद्र बर्ताव को लेकर विवादों

    यह पहला मौका नहीं है जब जिप सीईओ मून विवाद में है. एम्बुलेंस चालक संगठन भी पदाधिकारी उनके अभद्रता पूर्वक व्यवहार की आलोचना कर चुका है.