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    मुंबई. बंबई उच्च न्यायालय (Bombay High Court) ने शुक्रवार को महाराष्ट्र के मंत्री और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) नेता नवाब मलिक (Nawab Malik) की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने राज्यसभा चुनाव में मतदान के लिए जेल से रिहा करने की अनुमति मांगी थी। मलिक ने याचिका में कहा था कि या तो उन्हें बांड पर हिरासत से रिहा किया जाए या मतदान के लिए पुलिस के साथ विधान भवन जाने की अनुमति दी जाए।

    गौरतलब है कि आज प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अनिल देशमुख (Anil Deshmukh) और नवाब मलिक (Nawab Malik) की अर्जियों का यह कहते हुए विरोध किया कि जन प्रतिनिधित्व कानून के तहत कैदियों का कोई मताधिकार नहीं होता है।  NCP के दोनों वरिष्ठ नेता देशमुख और मलिक धनशोधन के अलग-अलग मामलों में फिलहाल जेल में बंद हैं।  दोनों ने अस्थायी जमानत की मांग करते हुए बीते सप्ताह विशेष न्यायाधीश आर एन रोकड़े के सामने आवेदन दिये थे।  बुधवार को सभी पक्षों ने इस जमानत अर्जी के पक्ष एवं विपक्ष में अपनी दलीलें पूरी कीं।  

    वहीं न्यायमूर्ति पी. डी. नाइक की एकल पीठ ने कहा कि हालांकि, मलिक ने याचिका में ‘जमानत’ शब्द का उल्लेख नहीं किया है फिर भी उनकी याचिका का आशय जमानत की अनुमति ही था इसलिए उन्हें विशेष अदालत के फैसले को चुनौती देते हुए अपील करनी चाहिए जिसने बृहस्पतिवार को मलिक को अस्थायी जमानत देने से इनकार कर दिया।

    उच्च न्यायालय ने कहा कि वह मलिक की याचिका को स्वीकार कर गलत उदाहरण पेश नहीं करना चाहता। इसके साथ ही पीठ ने मंत्री के वकील अमित देसाई को याचिका में संशोधन करने और फिर समुचित राहत पाने की याचना करने की अनुमति दी। मलिक की याचिका को बृहस्पतिवार को विशेष अदालत ने खारिज कर दिया था जिसके बाद उन्होंने उच्च न्यायालय का रुख किया।

    बता दें कि, अनिल देशमुख को ईडी ने नवंबर, 2021 में गिरफ्तार किया था।  वहीं आज उनके आवेदन में कहा गया है, ‘मौजूदा विधायक होने के नाते आवेदक (देशमुख) राज्यसभा के सदस्य के चुनाव के लिए निर्वाचक मंडल का सदस्य है।  आवेदक अपने मताधिकार का इस्तेमाल करने एवं अपना वोट डालने को इच्छुक है। ’ हालाँकि ED ने विशेष अदालत से कहा था कि देशमुख उनके खिलाफ दर्ज धनशोधन मामले में मुख्य आरोपी हैं और नवंबर में गिरफ्तार किये जाने के बाद वह फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं।  उसने कहा, ‘इसके अलावा, यह दीगर है कि जन प्रतिनिधित्व कानून के तहत कैदियों को मतदान करने का अधिकार नहीं होता है। ’