मुंबई: भारतीय जनता पार्टी से पहली बार विधायक बने राहुल नारवेकर ने शुक्रवार को महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष पद के लिए नामांकन दाखिल किया। जरूरी हुआ तो इस पद के लिए चुनाव तीन जुलाई को होगा। पूर्ववर्ती महा विकास आघाड़ी (एमवीए) का घटक दल रहे कांग्रेस ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से पूछा है कि वह विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव के लिए अब सहमति कैसे दे सकते हैं जबकि उन्होंने उस समय इसकी अनुमति नहीं दी जब शिवसेना नीत गठबंधन की सरकार थी।
विधानसभा सचिवालय से विधायकों को जारी एक पत्र में कहा गया है कि सदन के अध्यक्ष पद के लिए चुनाव तीन जुलाई को होगा और इसके लिए दो जुलाई मध्याह्न 12 बजे तक नामांकन स्वीकार किये जाएंगे। एक अधिकारी ने कहा कि मुंबई में कोलाबा विधानसभा से विधायक नारवेकर ने विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए नामांकन दाखिल किया। इस पद के लिए, जरूरत पड़ने पर, तीन जुलाई को चुनाव होगा जब सदन के विशेष सत्र के दौरान एकनाथ शिंदे नीत सरकार को बहुमत सिद्ध करना होगा।
BJP leader Rahul Narwekar files his nomination for the post of Speaker of Maharashtra Legislative Assembly pic.twitter.com/7Wf67HXtHv
— ANI (@ANI) July 1, 2022
अध्यक्ष पद के लिए विपक्षी गठबंधन महा विकास आघाड़ी ने अभी तक अपना उम्मीदवार खड़ा नहीं किया है। कांग्रेस के विधायक नाना पटोले ने गत वर्ष फरवरी में पद से इस्तीफा दे दिया था तब से विधानसभा अध्यक्ष का पद खाली है। नारवेकर, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता रामराजे निंबालकर के दामाद हैं जो महाराष्ट्र विधान परिषद के सभापति हैं। भाजपा के एक प्रवक्ता ने पहले बताया था कि विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए राहुल नारवेकर पार्टी के उम्मीदवार होंगे।
इस बीच, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता बालासाहेब थोराट ने पूछा है कि राज्यपाल, विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव के लिए अब सहमति कैसे दे सकते हैं जबकि उन्होंने उस समय इसकी अनुमति नहीं दी जब शिवसेना नीत गठबंधन की सरकार थी। थोराट ने संवाददाताओं से कहा कि तत्कालीन गठबंधन के एक प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल से मिलकर अध्यक्ष पद के लिए चुनाव कराने की मांग की थी। थोराट ने कहा, “हमें (राज्यपाल की ओर से) उत्तर मिला कि मामला अदालत में है।
अध्यक्ष के चुनाव के नियमों को बदलकर ध्वनिमत से चुनाव कराने के हमारे निर्णय को चुनौती देने वाली याचिका को (बंबई) उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया था और वह उच्चतम न्यायालय में लंबित है।” एमवीए सरकार में मंत्री रहे थोराट ने जानना चाहा कि अब क्या बदल गया है। उन्होंने कहा, “अब राज्यपाल ध्वनिमत से चुनाव कराने की अनुमति देंगे या गुप्त मतदान कराएंगे?” (एजेंसी)