Narendra Dabholkar
डॉ. नरेंद्र दाभोलकर (फ़ाइल फोटो)

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मुंबई, बंबई उच्च न्यायालय (Bombay HC) ने अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के संस्थापक नरेंद्र दाभोलकर (Narendra Dabholkar) की 2013 में हुई हत्या के मामले में केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) द्वारा की जा रही जांच की अदालती निगरानी को मंगलवार को बंद कर दिया। नरेंद्र दाभोलकर 20 अगस्त 2013 को सुबह सैर पर निकले थे, जब पुणे के ओंकारेश्वर पुल पर दो मोटरसाइकिल सवारों ने उनकी गोली मारकर हत्या कर दी थी। वह महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के संस्थापक थे। हमलावर कथित तौर पर कट्टरपंथी संगठन सनातन संस्था से जुड़े थे।

मामले की जांच 2014 में सीबीआई को सौंपी गई थी तब से उच्च न्यायालय इसकी निगरानी कर रहा है। समय-समय पर एजेंसी अदालत को रिपोर्ट सौंपती थी। न्यायमूर्ति ए. एस. गडकरी और न्यायमूर्ति पी. डी. नाइक की खंडपीठ ने नरेंद्र दाभोलकर की बेटी मुक्ता दाभोलकर द्वारा अदालत की निगरानी जारी रखने की मांग वाली याचिका का निस्तारण करते हुए मंगलवार को कहा कि जांच की और निगरानी किए जाने की जरूरत नहीं है।

सीबीआई ने इस साल जनवरी में अदालत को बताया था कि उसने हत्या की जांच पूरी कर ली है और जांच अधिकारी ने सक्षम अधिकारी को ‘क्लोजर रिपोर्ट’ (अंतिम रिपोर्ट) सौंप दी है। मामले की 2014 से जांच कर रही सीबीआई ने आरोपपत्र में पांच लोगों को आरोपी बनाया है। इन आरोपियों के खिलाफ पुणे की सत्र अदालत में सुनवाई जारी है।

उच्च न्यायालय ने सामाजिक कार्यकर्ता केतन तिरोडकर और बाद में मुक्ता दाभोलकर की एक याचिका पर गौर करते हुए 2014 में जांच को पुणे पुलिस से सीबीआई को स्थानांतरित कर दिया था। तब से उच्च न्यायालय मामले की जांच में हुई की प्रगति की निगरानी कर रहा था।