Bombay High Court seeks reply from Nawab Malik on the petition of Sameer Wankhede's father, said this
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    मुंबई: बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) ने बृहस्पतिवार को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) (राकांपा) के नेता और महाराष्ट्र के मंत्री नवाब मलिक (Maharashtra Minister Nawab Malik) से स्वापक नियंत्रण ब्यूरो (एनसीबी) (NCB) के पूर्व क्षेत्रीय निदेशक समीर वानखेड़े (Former NCB Mumbai Zonal Director Sameer Wankhede) के पिता ज्ञानदेव वानखेड़े की अवमानना याचिका (Defamation Case) पर जवाब मांगा।

    न्यायमूर्ति एस जे कथावाला और न्यायमूर्ति मिलिंद जाधव की पीठ ने यह भी पूछा कि मलिक वानखेड़े परिवार के खिलाफ कोई मानहानिकारक टिप्पणी नहीं करने के लिए उच्च न्यायालय को दिए गए हलफनामे के साथ बार-बार रियायतें क्यों ले रहे हैं। पीठ ने कहा कि अगर मंत्री इस तरह से रियायत का दुरुपयोग करते रहे तो अदालत इसे वापस ले लेगी। पिछले महीने, ज्ञानदेव वानखेड़े ने मलिक के खिलाफ उच्च न्यायालय में अवमानना याचिका दायर की थी। इसमें आरोप लगाया गया था कि मंत्री ने वानखेड़े परिवार के खिलाफ कोई अपमानजनक टिप्पणी नहीं करने या सोशल मीडिया पर पोस्ट करने के संबंध में पिछले साल दिसंबर में अदालत को दिए गए अपने वचन का जानबूझकर उल्लंघन किया।

    ज्ञानदेव वानखेड़े ने पिछले साल उच्च न्यायालय में एक मुकदमा दायर किया था, जिसमें मलिक को ऐसी कोई भी सार्वजनिक टिप्पणी या सोशल मीडिया पर पोस्ट करने से रोकने का अनुरोध किया गया था जो उनके, उनके बेटे समीर या उनके परिवार के लिए अपमानजनक हो। अपनी अवमानना याचिका में ज्ञानदेव वानखेड़े ने दावा किया कि मलिक ने अपने वचन का उल्लंघन किया और हाल में इस साल दो और तीन जनवरी को आपत्तिजनक टिप्पणी की। बृहस्पतिवार को, ज्ञानदेव के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता बीरेंद्र सराफ ने मलिक द्वारा अपना हलफनामा देने के बाद समीर वानखेड़े के खिलाफ जाति प्रमाण पत्र और क्रूज जहाज से मादक पदार्थ की जब्ती मामले में अभिनेता शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान से जुड़ी कुछ टिप्पणियों का जिक्र किया।

    मलिक की टिप्पणियों पर गौर करने के बाद न्यायमूर्ति कथावाला ने कहा कि अगर मंत्री को इस तरह से रियायत का दुरुपयोग करना है तो अदालत इसे वापस ले लेगी। पीठ ने पूछा, ‘‘अगर आप इसी मंशा से रियायत लेते हैं तो हम रियायत वापस ले लेंगे। प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से आप (मलिक) उनको (वानखेड़े) बदनाम करना चाहते हैं। आपका इरादा क्या है?”

    मलिक के वकील रमेश दुबे ने कहा कि मंत्री यह दिखाने के लिए अपना जवाब दाखिल करना चाहते हैं कि ये बयान रियायत (केवल एक लोक अधिकारी के आधिकारिक कर्तव्यों के निर्वहन के बारे में टिप्पणी करने पर) के दायरे में आते हैं। उच्च न्यायालय ने मलिक को अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया और मामले की अगली सुनवाई सात फरवरी को निर्धारित की।