
जालना: बंबई उच्च न्यायालय (Bombay High Court) की औरंगाबाद पीठ ने जालना के एक अंग्रेजी माध्यम स्कूल के प्रबंधन द्वारा बर्खास्त सात शिक्षकों को राहत दी है। न्यायमूर्ति रवींद्र घुगे और न्यायमूर्ति वाई.जी.खोबरागडे की पीठ ने शुक्रवार को जारी आदेश एक आदेश में जालना के एम.एस.इंग्लिश स्कूल के सात शिक्षकों की बर्खास्तगी पर रोक लगा दी।
ये शिक्षक उन 42 शिक्षकों में शामिल हैं, जिन्होंने स्कूल प्रबंधन द्वारा उन्हें दिए जा रहे मामूली और अनियमित वेतन और बर्खास्तगी को लेकर वकील तलहर अजय के माध्यम से एक रिट याचिका दायर की थी। छह से 26 साल तक की सेवा अवधि वाले शिक्षकों ने दावा किया कि सालाना अस्थायी नियुक्ति आदेश प्राप्त होने के बावजूद, उन्हें बिना किसी पूर्व सूचना या कारण बताए स्कूल द्वारा बर्खास्त कर दिया गया। उन्होंने दावा किया कि उन्हें वेतन का अनियमित रूप से भुगतान किया जा रहा था और 12,000 रुपये से लेकर 30,000 रुपये तक की राशि किस्तों में जारी की गई।
स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए पीठ ने कहा, ‘‘यदि शिक्षक छह साल से 26 साल के बीच की अवधि से काम कर रहे हैं, जैसा कि याचिकाकर्ताओं का दावा है, तो यह कहना अतिशयोक्ति होगी कि वे अस्थायी हैं, क्योंकि हर साल उन्हें अस्थायी नियुक्ति आदेश जारी किया गया है।” अदालत ने कहा, ‘‘ऐसे स्कूलों में प्रशिक्षित स्नातक को परिवीक्षा अवधि पूरी होने के बाद नियमित करना होता है। यदि इन याचिकाकर्ताओं की सभी दलीलें सही हैं, तो उनके साथ बुरा सलूक किया गया है, हम आज अपनी आंखें नहीं मूंद सकते।”
अदालत ने स्कूल प्रबंधन की अर्जी भी खारिज कर दी, जिसमें तर्क दिया गया था कि यह मामला एमपीईपीएस अधिनियम के तहत स्कूल अधिकरण के अधिकार क्षेत्र में आता है। एक अस्थायी आदेश में अदालत ने बर्खास्तगी आदेश पर रोक लगा दी और स्कूल प्रबंधन को नवंबर 2023 तक का बकाया वेतन और वेतन अदालत में जमा करने का निर्देश दिया।
साथ ही अदालत ने औरंगाबाद संभाग के संभागीय शिक्षा उपनिदेशक को स्कूल के कामकाज के बारे में विस्तृत जानकारी एकत्र कर एक रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया। अदालत ने स्कूल प्रबंधन को छह दिसंबर से पहले मामले में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। (एजेंसी)