chikhloli dam

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    बुलढाना. मानसून आने के दो महीने बाद भी जिले के जल भंडार में ज्यादा बढ़ोतरी होती नहीं दिख रही है. जिले की 91 परियोजनाओं में से सिर्फ 35 फीसदी का ही भंडारण हो पाया है. शहर के लिए जलापूर्ति करने वाले येलगांव बांध में 25 प्रश ही जलसंचय शेष है. नहीं तो अब तक भारी बारिश से जलाशय भर जाता है.

    खरीफ की शुरुआत में हुई अच्छी बारिश से किसानों की उम्मीदें बढ़ गयी थी. लेकिन उसके बाद कई दिनों तक बारिश न होने से जिले के जलाशयों पानी की कमी देखी जा रही है और फसलें भी प्रभावित हुई हैं. जिससे किसानों पर दुबारा बुआई का संकट आ गया है. 

    नलगंगा प्रकल्प में 28.45 प्रश जलसंचय

    जिले में नलगंगा, पेनटाकली और खड़कपूर्णा यह तीन बड़े प्रकल्पों के साथ साथ 7 मध्यम और 81 लघु प्रकल्प भी हैं. चिखली और सखरखेड़ा इलाकों में बादल फटने के समान बारिश होने से अमखेड़ के तालाब का काफी नुकसान हुआ है. लोणार तहसील में भी अतिवृष्टि दर्ज की गयी है.

    कोराड़ी मध्य प्रकल्प ओवरफ्लो हो गया था, लेकिन इसका कारण आमखेड़ तालाब फूटजाने से यह ओवरफ्लो होने की जानकारी है. लेकिन इस वर्ष नलगंगा प्रकल्प में 28.45 प्रश जलसंचय हुआ है. इसी तरह पेनटाकली में 32.50 प्रश और खड़कपूर्णा प्रकल्प में 6.90 प्रश जलसंचय हुआ है. इस तरह तीन बड़े प्रकल्पों में औसत 20 प्रश जलसंचय हुआ है. पिछले वर्ष जुलाई के अंतिम सप्ताह तक यही जलभंडारण 60 प्रश तक पहुंच गया था.

    6 लघु प्रकल्पों में 100 प्रश जलसंचय 

    मध्यम प्रकल्पों में पलढग प्रकल्प का जलभंडारण 13.98 प्रश, ज्ञानगंगा 70.44, मन 59.30, कोराड़ी 100, मस 48.87, तोरणा 33.97 तथा उतावली प्रकल्प में 60.23 प्रश जलभंडारण हुआ है. इस तरह जिले के सभी लघु प्रकल्पों में 51.88 दलघमी यानी 29.68 प्रश जलसंचय हुआ है. जिसमें टाकली व निमखेड़ तहसील खामगांव, शिवणी जाट, बोरखेड़ी व गांधारी तहसील लोणार और गारखेड़ तहसील सिंदखेड़ राजा इन 6 लघु प्रकल्पों में 100 प्रश जलसंचय हुआ है. 

    भारी बारिश की उम्मीद

    जिले में सिंचाई प्रकल्पों की स्थिति को देखते हुए भारी बारिश की उम्मीद की जा रही है. अगस्त और सितंबर दो बरसात के महीने हैं. चारों तरफ अच्छी बारिश हो रही है. कुछ जगहों पर बढ़ के समान स्थितियां बनाई गई हैं. लेकिन बुलढाना जिले में बारिश की कमी देखी जा रही है. जलाशयों की स्थिति में सुधार के लिए सभी की निगाहें अच्छी बारिश पर टिकी हैं. नहीं तो आने वाले समय में हमें जल संकट का सामना करना पड़ सकता है.