Pola Samagri Dukan

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    बुलढाना. जिले में पिछले दो साल से पोला उत्‍सव मनाया नहीं गया है. अब इस उत्सव के लिए केवल कुछ ही दिन बचे है. जिसके कारण जिले के बाजार लगभग सज गए हैं. किंतु यह उत्‍सव भी महंगाई की चपेट से बच नहीं पाया हैं. हालांकि, बाजार सज गया है किंतु ग्राहक नहीं होने से व्यापार ठप पड़ा नजर आ रहा है. सरकार द्वारा पिछले दो वर्षों में कोरोना प्रतिबंध लगाए गए थे. इस दौरान कोई भी सामूहिक उत्‍सव मनाया नहीं जा सका है. इस साल, सभी त्यौहारों पर प्रतिबंध हटा दिए गए हैं. 

    बाजार से गायब हुई रौनक

    दूकानों में इस बार बड़ी मात्रा में रस्सियां, घुंगरु माला, कवड़ी माला, चमड़े के गले की पट्टियां, वेसन, सूत के गोंडे, सींगों के लिए बाशिंग आदि सहित विविध रंग आए हुए है. यह सामग्री इस वर्ष 20 प्रतिशत से अधिक महंगी हो गई है. जिसके कारण बाजार में आज भी कोई रौनक देखने को नहीं मिल रही है. बैल साल भर खेतों में काम करते हैं. किसान बैलों को अपना देवता मानते हैं. इसलिए इस दिन कृषि कार्य के लिए बैलों का प्रयोग नहीं किया जाता है. गांव के देवी-देवताओं के दर्शन के साथ बैलों को सजाकर छत्ते में ले जाया जाता है. इस दिन गले वाले बैल का विशेष महत्व होता है. किंतु महंगाई के कारण बाजारों में उत्साह की कमी को महसूस किया जा रहा है. 

    संकटों की श्रृंखला में अटका किसान

    जिले में लगातार बारिश के कारण किसानों के खेतों में पानी भर गया है. जिसके कारण किसानों को एक से अधिक बार बुआई का सहारा लेना पड़ा. जिसके बावजूद प्राकृतिक आपदा किसानों का साथ नहीं छोड़ रही है. खेतों में लहलहा रही फसल पानी में डूबने से किसान संकट में है. अब पोला उत्सव पर महंगाई की मार गिरने से किसान त्रस्त हो उठे है.