
पुणे. महाराष्ट्र (Maharashtra) के उपमुख्यमंत्री अजित पवार (Ajit Pawar) ने बिहार (Bihar) में करायी गयी जाति आधारित गणना की तर्ज पर राज्य में भी जाति जनगणना (Caste Census) कराने की वकालत करते हुए सोमवार को कहा कि इस तरह के कदम से सभी समुदायों की सटीक आबादी का पता लगाने में मदद मिलेगी, ताकि उसी अनुसार आनुपातिक लाभ दिया जा सके। अजित पवार ने सोलापुर के माढा में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि राज्य सरकार मराठा समुदाय की आरक्षण दिए जाने की मांगों को लेकर सकारात्मक है।
उन्होंने कहा, “मेरी राय है कि यहां जाति आधारित जनगणना होनी चाहिए। बिहार सरकार ने इसे अपने राज्य में लागू किया। इस तरह की कवायद से, हमें अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी), अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति(एसटी), अल्पसंख्यकों, सामान्य वर्ग आदि की सटीक जनसंख्या का पता चल जाएगा, क्योंकि जनसंख्या के अनुपात के अनुसार ही सभी समुदायों को लाभ दिया जाता है।”
मराठा और धनगर आरक्षण
पवार ने बताया कि उन्होंने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस के साथ मिलकर बिहार में हुए जाति सर्वेक्षण का ब्योरा मांगा है। पवार ने कहा कि यह कवायद महाराष्ट्र में की जानी चाहिए, भले ही इसमें कुछ हजार करोड़ रुपये खर्च हों, क्योंकि यह जनता के सामने स्पष्ट तस्वीर पेश करेगी। पवार ने कहा कि राज्य सरकार मराठा और धनगर समुदायों की आरक्षण की मांगों को लेकर सकारात्मक है, लेकिन इस बात पर जोर दिया कि इस तरह के कदम से 62 प्रतिशत आरक्षण प्रभावित नहीं होना चाहिए (एससी, एसटी और ओबीसी के लिए 52 प्रतिशत, साथ ही आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए 10 प्रतिशत)।
उन्होंने कहा, “यदि मराठा और अन्य समुदायों को मौजूदा 52 प्रतिशत में से आरक्षण दिया जाता है, तो इस खंड में लाभ प्राप्त करने वाले समूहों को निराशा होगी। हमारा प्रयास यह सुनिश्चित करना है कि वर्तमान में 62 प्रतिशत से ऊपर प्रदान किया जा रहा आरक्षण उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय में कानूनी रूप से टिके।”
मनोज जरांगे ने मराठों के लिए कुनबी प्रमाण पत्र मांगा
पवार ने कहा कि मराठा आरक्षण की मांग करने वाले कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने मराठों के लिए कुनबी प्रमाण पत्र मांगा है, ताकि मराठों को अन्य पिछड़ा वर्ग श्रेणी के तहत लाभ मिल सके, जबकि ओबीसी श्रेणी के कई समूह ज्ञापन सौंप रहे हैं कि उनके वर्ग में किसी अन्य समुदाय को शामिल नहीं किया जाना चाहिए। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता ने कहा, “धनगर समुदाय अनुसूचित जनजाति श्रेणी में शामिल होने की मांग कर रहा है, जबकि आदिवासी इसका विरोध कर रहे हैं।” (एजेंसी)