Anil Deshmukh
PTI Photo

    Loading

    मुंबई. महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख (Anil Deshmukh) के खिलाफ भ्रष्टाचार (Corruption) के आरोपों की जांच करने वाले चांदीवाल आयोग (Chandiwal Commission) ने क्लीन चिट (clean chit) दे दी है। आयोग ने मंगलवार को राज्य के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Chief Minister Uddhav Thackeray) और गृहमंत्री दिलीप वलसे पाटिल (Home Minister Dilip Walse Patil) को 1400 पन्नों के अनुलग्नक के साथ 201 पन्नों की रिपोर्ट सौंपी है।

    बता दें कि महाराष्ट्र सरकार ने पिछले साल मार्च में न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) के यू. चांदीवाल की अध्यक्षता में एकल सदस्यीय आयोग का गठन किया था, जिसे मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परम बीर सिंह द्वारा देशमुख के खिलाफ लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच की जिम्मेदारी दी गई थी।

    आयोग के निष्कर्षों से अवगत गृह विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने द फ्री प्रेस जर्नल को बताया कि, आयोग को सिंह द्वारा देशमुख के खिलाफ लगाए गए आरोपों में कोई दम नहीं मिला। इसमें सिंह की दलील का हवाला दिया है, जिसमें मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त ने स्पष्ट रूप से कहा था कि उनके पास मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को लिखे गए पत्र के अलावा कोई सबूत नहीं है। सिंह ने दावा किया था कि देशमुख ने पुलिस अधिकारियों को शहर के बार और रेस्तरां से हर महीने 100 करोड़ रुपये लेने के लिए कहा था।

    अधिकारी ने सिंह की दलील का हवाला देते हुए कहा कि देशमुख के खिलाफ उनके आरोपों को साबित करने के लिए कोई प्रत्यक्ष सबूत नहीं है, जिन्होंने पहले ही सिंह के आरोपों का खंडन किया था। अधिकारी ने कहा कि आयोग की रिपोर्ट को राज्य कैबिनेट में पेश किए जाने की संभावना है और बाद में सरकार इसे सार्वजनिक करने पर विचार करेगी।

    करीब एक साल तक चली जांच के दौरान आयोग ने देशमुख, बर्खास्त पुलिस अधिकारी सचिन वाजे और अन्य के बयान दर्ज किए। सिंह कई बार समन  भेजे जाने के बाद केवल एक बार आयोग के सामने पेश हुए थे। मुंबई के पूर्व पुलिस प्रमुख ने कई हलफनामों के माध्यम से आयोग को बताया कि उनके पास मुख्यमंत्री को लिखे अपने पत्र में दी गई जानकारी के अलावा और कुछ नहीं है।

    ज्ञात हो कि फरवरी 2021 में उद्योगपति मुकेश अंबानी के आवास ‘एंटीलिया’ के निकट एक एसयूवी से विस्फोटक सामग्री मिलने की घटना के समय सिंह मुंबई पुलिस आयुक्त थे। इस घटना के बाद मार्च में सिंह का तबादला कर दिया गया था, जिसके बाद उन्होंने आरोप लगाया था कि देशमुख ने पुलिस अधिकारियों को शहर के बार और रेस्तरां से हर महीने 100 करोड़ रुपये की जबरन वसूली करने का निर्देश दिया था।

    केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) भी सिंह द्वारा देशमुख के खिलाफ लगाए गए आरोपों की जांच कर रहे हैं। अप्रैल 2021 में राज्य के गृह मंत्री के पद से इस्तीफा देने वाले देशमुख को पिछले साल नवंबर में धनशोधन के मामले में ईडी ने गिरफ्तार कर लिया था। फिलहाल वह न्यायिक हिरासत में हैं। (एजेंसी इनपुट के साथ)