विविध योजना से माना जानजाति के 17 परिवार वंचित

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    • किसानों पर कार्रवाई की मांग, पांढरवानी की घटना

    चिमूर. पांढरवानी में आदिवासी माना जनजाति के घर कई वर्षों से गांव से सटे गांव की जमीन पर रह रहे हैं. गांव की आबादी की जमीन पर किसान खाटिक के खेत नहर से सटकर है. इन परिवारों को प्रशासन के घरकुल योजना मंजूर हुई है. इसके अनुसार परिवार ने नींव खोदी है. किंतु किसान खाटिक लाभार्थी परिवार के घरकुल नहीं बनाने दे रहे है. साथ ही अन्य काम में बाधा पैदा कर रहे है. किंतु इन परिवारों का कोईवाली नहीं है. प्रशासन की लापरवाही और किसानों की मनमानी की वजह से माना जनजाति के 17 परिवार हलाकान हो रहे है.

    तालुका मुख्यालय से 15 किमी की दूरी पर, खुटाला गट ग्राम पंचायत अंतर्गत पंढरवानी गांव की आबादी लगभग 900 है. किसान खटीक के खेत नहर से सटे  गांव में आदिवासी जनजाति माना समाज के तेरह घर, एससी समाज के दो घर और एनटी समाज के दो घर हैं. ग्राम पंचायत इस परिवार को रिकॉर्ड करती है. यह परिवार यहां पर 30 से 40 वर्षो से निवास कर रहे है. नेरी में खटीक परिवारों की कृषि भूमि पंढरवानी गांव के नजदीक है, वे खेतों में काम करने के लिए रोजाना आते हैं और किसी भी कारण से, आदिवासी परिवारों के साथ झगड़ा करते हैं.

    गांव के परिवार द्वारा खेत में आने से रोकने पर एक लडके ने घर में घुसकर उसके पुत्र को पीटा ऐसी जानकारी पीडित की मां ने दी है. खाटिक ने नहर के पास रहने वाले परिवारों को दबाने का प्रयास कर रहे है. इससे यह परिवार दहशत में है.  गांव के उन 17 परिवारों के नाम पर सरकार की कई योजनाएं आईं लेकिन किसान ने उन्हें साकार नहीं होने दिया. पहले पांच परिवारों को घरकुल मंजूर हुए और वे बनकर तैयार हो गए. अब दो परिवार को घरकुल मंजूर हुए और उन्होंने नींव खोदी. किंतु किसान खाटिक बाधा डाल रहे है. इसकी शिकायत किए जाने के बावजूद प्रशासन ने कोई ध्यान नहीं दिया ऐसा आरोप पीडित परिवार ने किया है. 

    यह परिवार रहते है गांव में 

    इस गांव में मोरेश्वर वाघमारे, संपत नन्नावरे, संजय श्रीरामे, वामन पोईनकर, रमेश गजभे, बारूबाई नन्नावरे, कमल वाघमारे, रविंद्र पोईनकर, दिवाकर गजभे, गुलाब मानकर, भारत पोईनकर, श्रीराम मानकर, शरद पोईनकर, कालेश्वर जांभूले, सिंधू जांभूले, मंजीरी श्रीरामे, अजरा चौधरी आबादी की जगह पर रहते है. हाल ही में रविंद्र पोहिनकर, भारत पोईनकर के घरकुल मंजूर हुए और उन्होंने नींव खोदी किंतु बधिक बनने से सरकारी योजना से वंचित है.

    पांढरवानी गांववासियों का आरोप है कि प्रशासन को सूचना दिए जाने के बावजूद इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है. इस तरह के अन्याय कब तक सहन करें. क्योंकि आज तक किसी ने उन्हे न्याय दिलाने पहल नहीं की है. इसलिए अब आदिवासी समाज ने आंदोलन की तैयारी की है.

    गुणवंत वाघमारे कोषाध्यक्ष - आदिवासी माना जनजाति विद्यार्थी युवा संगठन चिमूर

    पांढरवानी गांव के पास कृषि का सर्वेक्षण भूमि सर्वेक्षण कार्यालय को निवेदन दिया है. यह मामला न्यायालय में है. आदिवासी माना जनजाति द्वारा लगाए गए आरोप निराधार हैं.

    पिंटू सुरेश खाटीक किसान पंढरानी - नेरी