जिले में पशुवैद्यकीय अधिकारी समेत 63 पद रिक्त

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    • ठंडी के दिनों में पशुओं की बीमारी बढने से पशुपालक चिंतीत

    चंद्रपुर. जिले में पशु वैद्यकीय अधिकारी के 26 और अन्य कर्मचारियों के 37 ऐसे कुल 63 पद रिक्त होने से पशु अस्पताल में नियमित अधिकारी और कर्मचारियों का अभाव है. नतीजा पशुओं का समय पर उपचार नहीं हो पाता है अनेक अस्पताल बीमार पडे है. इसकी वजह से अनेक पशुपालकों में चिंता छाई है. इसलिए स्थायी पशु वैद्यकीय अधिकारी का कब तक इंतजार करना पडेगा ऐसा सवाल पशुपालक कर रहे है.

    गोंडपिपरी तहसील के तोहोगांव में श्रेणी 1 का पशु अस्पताल है. तोहोगांव तहसील के मध्य में होने से परिसर के कुडेसावली, परसोडी, पाचगांव, आर्वी के पशुपालक अपने पशुओं का उपचार कराने के लिए यहां आते है. हास्पिटल में एक पशुधन विकास अधिकारी, एक परिचर का पद है.

    वर्तमान समय पर अस्ताल में एक भी कर्मचारी अथवा अधिकारी न होने से दूसरे अधिकारी को तोहोगांव अस्पताल का प्रभार सौंपा गया है. इसकी वजह से 5 से 10 किमी की दूरी से अपने पशुओं का उपचार कराने आनेवालों को बिना उपचार कराये लौटना पडता है. नतीजा स्थानीय और दूर दराज के पशुपालकों को निजी पशु चिकित्सकों से महंगा उपचार कराना पडता है. इसलिए प्रशासन तत्काल पशु वैद्यकीय अधिकारी के रिक्त पद भरें ऐसी मांग पशुपालक कर रहे है.

    इसी प्रकार की स्थिति जिले के अधिकांश हास्पिटल की है. बरसात और ठंडी में किसानों की खेती का सीजन होता है ऐसे में जानवरों को अनेक प्रकार की बीमारी होती है. किंतु पशु चिकित्सकों के अभाव में अनेक जानवरों की मौत हो जाती है. ऐन सीजन में बीमारी से बैल के मरने से किसान के सामने भारी संकट आ जाता है. इसलिए जानवरों को समय पर उपचार मिलने के लिए पशुवैद्यकीय अधिकारी का अस्पताल में होना आवश्यक है.

    पशु वैद्यकीय अस्पताल श्रेणी 1 ग्राम स्तरीय संस्था है. इसके माध्यम से पशुओं को स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती है. इसके अलावा संकरित पैदास निर्माण कार्यक्रम चलाने के लिए कृत्रिम गर्भधारण सुविधा उपलब्ध होती है. पशुवैद्यकीय श्रेणी 1 का अस्पताल परिसर के 5 से 10 गांव के पशुओं को स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने के लिए होता है.

    जहां पशुओं का उपचार, संसर्गजन्य रोगों की प्रतिबंध के लिए टीकाकरण, कृत्रिम गर्भधारण आदि सुविधा दी जाती है. किंतु अधिकारी और कर्मचारियों के अभाव में यह सुविधा मिलना पशुपालकों के लिए मुश्किल हो रहा है. नतीजा पशुओं के स्वास्थ्य रखने की समस्या पशुपालकों के सामने है. ऐसे में गाय, बैल, बकरियों को किसी प्रकार की बीमारी होने से समय पर उपचार नहीं मिलता है. इसलिए रिक्त पदों को तत्काल भरने की मांग पशुपालकों ने की है.