गर्भवती महिला का प्रसूती के लिए नाव से जानलेवा सफर

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    गोंडपिपरी. प्रसूती की तारीख आई और परिवार की चिंता बढ़ गई. बाढ की वजह से पिछले तीन दिनों से बाढ की वजह से सड़क मार्ग बंद है. ऐसे में क्या किया जाये यह विकराल सवाल था. आखिरकार अपनी और प्रसूता की जान जोखिम में डालकर आशा वर्कर ने एक गर्भवती महिला के साथ एक नाव में बैठकर यात्रा की. 

    बारिश की वजह से इस प्रकार का जानलेवा सफर करने का मामला गोंडपिपारी तालुका में वेजगांव से सकमुर के बीच सामने आया है.  तहसील के नये पोडसा निवासी पिंकू सुनिल सातपुते गर्भवती थी. उसे प्रसूती के लिए गोंडपिपरी ग्रामीण हास्पिटल में भरती होना था किंतु तीन दिनों से बाढ की वजह से गोंडपिपरी जाने वाला मार्ग बंद था. इसलिए आज जान जोखिम में डालकर नाव की सहायता से हास्पिटल पहुंचना पडा है.

    बिकट स्थिति में आशा वर्कर और स्वास्थ्य सेविका लगातार पिंकू को स्वास्थ्य संबंध में मार्गदर्शन कर रहे थे. किंतु उसे गोंडपिपरी हास्पिटल में भरती होना था. मार्ग टाबू बना गया है ऐसे में कोई नाव उतारने को तैयार नहीं था. महिला की हालत को  देखकर एक नाविक तैयार हो गया और शुरु हुआ पिंकू का अस्पताल पहुंचने का सफर. उसके साथ आशा वर्कर संगीता ठाकुर ओर परिजन नाव से निकले. वेडगांव से सकमुर तक नाव की सहायता से आने के बाद अंत में गोंडपिपरी पहुंचे.

    ग्रामीण परिसर के स्वास्थ्य सेवा में सुधार की आवश्यकता

    आज भी तहसील के अनेक आदिवासी बहुल दुर्गम परिसर के गांव है जहां पर स्वास्थ्य सेवा नहीं पहुंच सकी है. ऐसे ही अनेक गांव की व्यथा ऐसे बरसात के समय पर और विकराल हो जाती है जहां से मरीजों को नाव, बैलगाडी की सहायता से हास्पिटल तक पहुंचाना पड़ रहा है. एक ओर देश आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष मना रहा है वहीं ग्रामीण परिसर में आजादी के 75 वर्षो बाद भी स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधा नहीं पहुंच सकी है. इसकी वजह से मरीजों को इस प्रकार जानलेवा सफर करना पडता है.