ओबीसी का आरक्षण रद्द करने के पीछे गहरी साजिश, जिले के पालकमंत्री वडेटटीवार का आरोप

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    चंद्रपुर. राज्य के मंत्री तथा जिले के पालकमंत्री विजय वडेटटीवार ने यहां आरोप लगाते हुए कहा कि, ओबीसी समाज का राजनीतिक आरक्षण रद्द करने के पीछे इस समाज का अहित देखने वालों की गहरी साजिश है.

    यहां एक पत्रपरिषद में बोलते हुए वडेटटीवार ने कहा कि, अनुसूचित जाति,जनजाति के आरक्षण को कहीं कोई धक्का ना लगाते हुए ही राज्य सरकार ने ओबीसी समाज के राजनीतिक आरक्षण का अध्यादेश जारी किया था. देश के कई राज्यों में वहां की राज्य सरकारों द्वारा इसी प्रकार के अध्यादेश के आधार पर चुनाव संपन्न हुए है, लेकिन महाराष्ट्र में ओबीसी समाज के आरक्षण को सेंध लगाने की दृष्टि से ही कुछ अदृश्य ताकतों ने न्यायालय में कदम रखा. उन्होंने कहा कि, यह वहीं ताकतें है, जो ओबीसी समाज का हित नहीं चाहती है. 

    उन्होंने स्पष्ट किया कि, हाई कोर्ट के नागपुर और औरंगाबाद खंडपीठ में ओबीसी आरक्षण के संदर्भ में दो अलग अलग याचिकायें दाखिल की गई थी. बाद में यही दो याचिकाकर्ता सुप्रीम कोर्ट में पहुंचे. वडेटटीवार ने सवाल खड़े करते हुए कहा कि, जिनके पास सुप्रीम कोर्ट में लड़ने तक की रकम नहीं थी, उनके पास इतनी रकम आयी कहाँ से ? 

    उन्होंने कहा कि, सिर्फ और सिर्फ राजनीतिक लाभ उठाने की दृष्टि से ही ओबीसी का आरक्षण खत्म करने का षड्यंत्र रचा गया है. उन्होंने आगे कहा कि, केंद्र सरकार द्वारा इम्पेरियल डेटा उपलब्ध नहीं कराए जाने की स्थिति में ही राज्य सरकार ने स्थानीय निकायों के चुनाव में ओबीसी के राजनीतिक आरक्षण को लेकर अध्यादेश जारी किया था.

    इस आरक्षण के तहत संविधान के दायरे में रहकर ही 50 प्रतिशत आरक्षण के भीतर ही यह आरक्षण देने का प्रयास राज्य सरकार का था, इसके लिए अनुसूचित जाति, जनजाति के वर्तमान आरक्षण को कहीं कोई आहत नहीं पहुंचाई गई थी. उन्होंने कहा कि, केंद्र सरकार के पास इम्पेरियल डेटा उपलब्ध होने के बावजूद जानबूझकर केंद्र सरकार यह डेटा उपलब्ध नहीं करा रही है. 

    वर्ष 2011 की जनगणना के बाद महाराष्ट्र सरकार ने यह इम्पेरियल डेटा हासिल करने के लिए केंद्र सरकार से कई बार गुजारिश की, किंतु केंद्र ने यह उपलब्ध नहीं किया. और अब राज्य में विपक्षी दल ओबीसी आरक्षण को लेकर राज्य सरकार को कटघरे में खड़ा करने का प्रयास कर रहे है. 

    उन्होंने आगे कहा कि, राज्य के चुनाव आयोग को स्वतंत्र अधिकार है, किंतु आयोग ने स्वयं के वकील कोर्ट में खड़े किए. वकीलों ने आगामी चुनाव के मद्देनजर ही अपनी दलीलें पेश की. उन्होंने आरोप लगाया कि, राज्य चुनाव आयोग भी पक्षपाती भूमिका अख्तियार कर रहा है. इसके पीछे कौन सी शक्ति काम कर रही है, यह सब जानते हैं. 

    उन्होंने कहा कि, आगामी 2 दिनों में राज्य मंत्रिमंडल की बैठक होगी, जिसमें ओबीसी आरक्षण स्थगित करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर चर्चा की जाएगी, विधि तज्ञों से बात की जाएगी और आगे की भूमिका तय की जाएगी. 

    ओबीसी को नीचा दिखा रही केंद्र सरकार : धानोरकर

    सांसद सुरेश धानोरकर ने यहां आरोप लगाते हुए कहा कि,केंद्र सरकार ओबीसी समाज को हर पल नीचा दिखाने का काम कर रही है.  स्थानीय निकाय चुनाव में ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण देने के राज्य सरकार के निर्णय को सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्थगित किए जाने पर बोलते हुए धानोरकर ने कहा कि, केंद्र सरकार ने इम्पेरियल डेटा देने से इंकार किया, उससे ही यह स्थिति निर्माण हुई है. केंद्र सरकार निम्न स्तर की राजनीति कर रही है.

    उन्होंने कहा कि, सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से ओबीसी समाज को गहरा झटका लगा है. इस फैसले से अब ग्राम पंचायत, जिला परिषद और पंचायत समिति चुनाव में ओबीसी के 27 प्रतिशत आरक्षण स्थगित हुआ है. 

    उन्होंने कहा कि,जब तक ओबीसी समाज की सही संख्यात्मक स्थिति न्यायालय के सामने आती नही है, त तक यह आरक्षण संभव नहीं है. जबकि केंद्र सरकार के पास यह संख्यात्मक जानकारी उपलब्ध है, राज्य सरकार बार बार केंद्र से बिनती करती आ रही है, बावजूद इसके केंद्र सरकार यह इम्पेरियल डेटा नहीं पेश कर रही है. 

    उन्होंने कहा कि, राज्य में आगामी स्थानीय निकायों के चुनाव को देखकर ही केंद्र सरकार यह राजनीति कर रही है, केंद्र सरकार का यह षड्यंत्र ओबीसी समाज के ध्यान में आ चुका है. उन्होंने कहा कि, केंद्र सरकार चाहे जितनी राजनीति कर ले, राज्य सरकार ओबीसी को आरक्षण दिलाने के लिए वचनबद्ध है. कोरोनकाल के चलते ही राज्य सरकार को यह इम्पेरियल डेटा कलेक्ट कर पाना संभव नहीं हुआ था. इस संदर्भ में विधि सलाहकारों से चर्चा कर राज्य सरकार आगे निर्णय लेगी.