4 से 5 हजार में 12 घंटे ड्यूटी निभा रहे बुजुर्ग, मजबुरों का शोषण कर रहे ठेकेदार

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    चंद्रपुर. सुरक्षा सभी की प्राथमिकता होती है किंतु इन दिनों बुजुर्गो का शोषण कर अपनी तिजोरी भरने का गोरखधंधा जिले भर में शुरु है. इसकी वजह से अपनी जिंदगी दांव पर लगाकर दूसरों की रखवाली करने वालों को जीवन के लिए संघर्ष करना पडा है. विशेष रुप से बुजुर्गो को 4 से 5 हजार रुपए के बदले में 12 घंटे तक काम करना पड़ रहा है.

    कोरोना संकट के समय पर अनेक युवाओं का रोजगार छीन गया. अपने घरों को लौटे अनेक लोग आज तक अपने कार्यस्थल पर नहीं जा सके है. इसका कारण है कि हर क्षेत्र में कर्मचारियों की कटौती की गई है. कोरोना संकट के समय किसी प्रकार काम के घंटे बढाकर लोगों ने काम किया तो अब मालिक उसी प्रकार का काम ले रहे है.

    यह देखकर कुछ सेवानिवृत्त बुजुर्गो ने ट्रांसपोर्टर, छोटी कंपनियों में निजी चौकीदार का काम करने लगे. इसके बदले इन्हे महज 4 से 5 हजार रुपए देकर उनसे 12 घंटे काम लिया जा रहा है. शहर के मुख्य मार्ग पर अनेक ट्रांसपोर्ट कंपनियों के सामने पर रात दिन चौकीदारी करने वालों का यही हाल है. किंतु उनकी पीडा सुनने वाला कोई नहीं है.

    रिलीवर के न आने पर 24 घंटे तक सेवा

    कई बार उनका रिलीवर न आने पर उन्हे लगातार 24 घंटे तक ड्यूटी करनी पडती है. अब ऐसी कडकडाती ठंड में बुजुर्गो से इस प्रकार का काम लेना कहा तक उचित है. किंतु यह निजी कपंनी मालिक और ट्रांसपोर्टर इस बात को कोई महत्व नहीं देते है. इसकी वजह से कई बार इन्हे 24 घंटे तक सेवा देनी पडती है. 

    ठेकेदारों की नेताओं से सेटिंग

    शहर की निजी कालोनी, अर्पाटमेंट, रिहायशी बस्ती, निजी कार्यालयों में निजी सुरक्षा एजंसी की ओर से सुरक्षा रक्षक मंगाये जाते है. यहां पर भेजे जाने वाले अनेक सुरक्षा रक्षकों को प्रशिक्षण तक नहीं दिया जाता है और उन्हे सीधा कार्यस्थल पर भेज दिया जाता है. लेकिन इसकी आड में ठेकेदार को अच्छा खासा लाभ मिलता है.

    ठेकेदार एक ओर प्रशिक्षण का पैसा बचा लेता है तो दूसरी ओर सुरक्षा रक्षकों को दी जाने वाली वर्दी, जूते के रुपए उनके वेतन से काट लेते है. इस प्रकार सुरक्षा रक्षकों का शोषण कर जहां एजंसियों प्रतिमाह लाखों कमा रही है वही कडकडाती ठंड में खून जमा देने वाली सर्दी में उनका शोषण करने वालों के खिलाफ कोई सुनवाई करने वाला नहीं है.

    खून चूसने का लाईसेंस 

    सुरक्षा एजंसी के लिए कई नियम है किंतु नेताओं से सांठगांठ की बदौलत आसानी से लाईसेंस मिल जता है. लाईसेंस मिलते है इन्हे एकप्रकार से खून चूसने का लाईसेंस मिल जाता है और यह लोग सुरक्षा रक्षकों से मनमानी काम लेते है.