अंतत: निर्दलीय विधायक जोरगेवार शिंदे गुट में शामिल, जोरगेवार की भूमिका पर राजनीतिक गलियारे में चर्चा

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    चंद्रपुर. तीन दलों के गठबंधन से बनी राज्य की महाविकास आघाडी में अब संभ्रम की स्थिति निर्माण हुई है. शिवसेना की आपसी गुटबाजी ने सरकार को खतरे में डाल दिया है. बागी नेता एकनाथ शिंदे ने चंद्रपुर के निर्दलीय विधायक किशोर जोरगेवार से सहयोग के लिए संपर्क किया और जोरगेवार चर्चा में आ गए. इस बीच विधायक जोरगेवार गुरुवार की रात गुवाहाटी रवाना हुए और शिंदे गुट में शामिल हो गए. जिससे चंद्रपुर की राजनीतिक गलियारों में जमकर चर्चा है.

    विधायक जोरगेवार को रेडिसन ब्ल्यू होटल गुवाहाटी के अन्य विधायक, शिंदे के साथ का फोटो सोशल मीडिया पर वायरल होने से चंद्रपुर के राजनीतिक गलियारों में चर्चा शुरु हो गई. उनके इस निर्णय पर सोशल मीडिया पर अनेक प्रकार की प्रतिक्रियाए सामने आ रही है. इन प्रतिक्रियाओं पर सवाला उठाये गए है कि सचमुच विधायक जोरगवार निर्वाचन क्षेत्र के मतदाताओं का हित सोच रहे है?

    शिवसेना से बगावत कर 40 से अधिक विधायकों के समर्थन का दावा करने वाले एकनाथ शिंदे के गुट में विधायक की संख्या दिन प्रतिदिन बढती ही जा रही है. महाविकास आघाडी को समर्थन देने वाले चंद्रपुर के निर्दलीय विधायक किशोर जोरगेवार अंतत: गुवाहाटी का रास्ता पकडे और अपने गंतव्य पर पहुंच गए.

    राज्यसभा चुनाव के दौरान विधायकों को अपने पक्ष में शामिल करने के लिए भाजपा और महाविकास आघाडी के बीच रस्साकसी हुई. इसके बाद शिवसेना नेता सांसद संजय राउत ने घोडेबाजार होने की टिप्पणी की थी. इस पर निर्दलीय विधायक जोरगवार ने राउत के घोडेबाजार शब्द पर नाराजगी व्यक्त करते हुए विचार करने की भूमिका ली थी.

    शिवसेना से अलग होकर एकनाथ शिंदे के गुट को भविष्यमें अन्य विधायकों का समर्थन मिल सकता ऐसा बयान किशोर जोरगेवार ने दिया है. अब जोरगेवार के शिंदे गुट में शामिल होने को लेकर आगामी चुनाव के समय पर इसके असर दिखाई देने की प्रबल संभावना है. 

    2019 के चुनाव में रिकार्ड वोटों से विजयी होने के बाद निर्दलीय विधायक जोरगवार ने भाजपा शिवसेना युती सरकार गठन की हलचल को देखते हुए भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस को समर्थन पत्र दिया. किंतु राजनीतिक समीकरण बिगड राज्य में शिवसेना, कांग्रेस, राकांपा के महाविकास आघाडी सरकार का गठन हुआ. उस समय पर विधायक जोरगेवार ने महाविकास आघाडी को समर्थन दिया. अब सरकार के संकट में आते ही विधायक ने पाला बदला और शिंदे गुट में शामिल हो गए. सरकार गठन को देखते हुए बार बार अपना निर्णय बदलने वाले विधायक जोरगेवार के निर्णय का असर अगले चुनाव में दिखाई देगा यह देखना दिलचस्प होगा.