मूल: एक वर्ष में मूल तहसील में बाघ द्वारा इंसान के मारे जाने के 24 मामले हो चुके हैं. इसके लिए वन विभाग और अधिकारी जिम्मेदार हैं. वन्यजीवों की देखभाल करने के बजाय वन विभाग कारोबार को बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं. पूर्व मंत्री शोभा फडणवीस ने मूल में आयोजित पत्रपरिषद में वन विभाग पर लोगों की हत्या कर पैसे कमाने का गंभीर आरोप लगाया है.
उन्होने पत्रपरिषद में कहा कि, वन विभाग ने ताडोबा अंधारी टाइगर रिजर्व से सटा बफर जोन बनाया है. और बाघों को टाइगर रिजर्व और बफर जोन क्षेत्रों में खुला छोड़ा है. लेकिन जंगल के ठीक बगल में सैकड़ों किसान खेती कर रहे हैं. और खेती के बिना उनके पास दूसरा कोई विकल्प नहीं है. इसलिए वन विभाग ने जंगल में सुरक्षा दीवार या तार की जाली का निर्माण करना चाहिए ताकि बाघ और जंगली जानवर खेतों में काम कर रहे किसानों पर हमला न कर सकें.
जनप्रतिनिधि होने के नाते हमेशा इस मामले को सरकार और वन विभाग के बड़े अधिकारियों के ध्यान में लाया है. लेकिन सरकार का वन विभाग इतनी महत्वपूर्ण समस्या पर ध्यान नहीं दे रहा है. इस तरह आज एक साल में मूल तहसील में बाघ द्वारा इंसान के मारे जाने के 24 मामले हो चुके हैं. इसके लिए वन विभाग और अधिकारी जिम्मेदार हैं. वन्यजीवों की देखभाल करने के बजाय वे वन विभाग के कारोबार को बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं.
पूर्व मंत्री शोभा फडणवीस ने कहा कि पहले टाइगर रिजर्व के 21 गेट थे, 7 गेट अधिक बढाने की जानकारी दी. इसमें पहले सुबह और शाम दो ही सफारी होती थी, अब इसे 12 घंटे कर दिया गया है. इससे पहले बाघों की संख्या 200 से बढ़कर 300 हो चुकी है. कोअर क्षेत्र में एक सफारी के एक गाडी की राशी 45 हजार रुपये की, जबकि बफर में 42 हजार रुपये की. इससे यह देखा जा सकता है कि वन विभाग लोगों को मारकर पैसा कमाने का व्यवसाय कर रही है ऐसा गंभीर आरोप पूर्व मंत्री शोभा फडणवीस ने लगया है.
बाघ, तेंदुआ या जंगली सुअर इंसानों और किसानों के जानवरों पर हमला कर रहे है. तेंदुए के हमलों में हर दिन कई लोग मारे जाते हैं. अब वन विभाग को इस पर गंभीरता से ध्यान देने की जरूरत है. जंगली जानवर जंगल छोड़कर रिहायशी इलाके में अतिक्रमण कर रहे हैं. इसके लिए दूरगामी उपाय करने की आवश्यकता है. और यदि कोई समाधान की योजना नहीं बनाई गई तो भविष्य में मानव वन्यजीव संघर्ष एक तरफ रहेगा और वन विभाग और लोगों के बीच संघर्ष की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है. ऐसी ईशारा शोभा फडणवीस ने भी दीया है.
जिले में हर दिन गरीब किसान, खेतिहर मजदूर बाघ के हमले का शिकार हो रहे हैं. ताडोबा बफर और कोर जोन क्षेत्र में बड़ी संख्या में प्रवेशद्वारों के खुलने से होने वाला शोर, गेट के पास रिसॉर्ट के कारण होने वाला अतिक्रमण, और इस तथ्य से कि निजी व्यवसायी भी रिसॉर्ट के लिए जंगल से सटे जमीन खरीद रहे हैं. भविष्य में वन क्षेत्र कम होगा और वन्यजीवों के प्राकृतिक आवास गायब हो जाएंगे और जानवर मानव बस्तियों की ओर चले आएंगे. अतः भविष्य में वन्य जीवों की बढ़ती संख्या और पर्यटकों की भीड़ को देखते हुए यह स्पष्ट है कि मानव-पशु संघर्ष को रोकना संभव नहीं होगा.
सरकार मृतकों के परिजनों को 20 लाख रुपये की सहायता दे रही है. यदि वन विभाग हमारे बाघों और जंगली जानवरों की सुरक्षा के लिए सुरक्षा कवच के रूप में दीवारों या तार की बाड़ पर जीवन खर्च करने के बजाय खर्च करता है, तो जंगली जानवर जंगल से नहीं निकलेगा और कोई भी इंसान नहीं मारा जाएगा. इसके लिए नियोजन करे ऐसी जानकारी पूर्व मंत्री शोभा फडणवीस ने दी.
इस मौके पर अविनाश जगताप, महेन्द्र करकाड़े, लोकनाथ नर्मलवार, संजय मारकवार, विपिन भालेराव, साहिल येनगंटीवार आदि मौजूद थे. जीवन देने के लिए योजना और कार्य करना जरूरी है.