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    चंद्रपुर. अपनी जान खतरे में डालकर वनों की रक्षा करनेवाले वन कर्मचारियों को पुलिस कर्मचारियों की तरह लाभ मिलेगा. आज हुई मंत्रिमंडल की बैठक में इस विषय के प्रस्ताव को मंजूरी दिए जाने की जानकारी वनमंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने दी.

    सुधीर मुनगंटीवार ने इस निर्णय की जानकारी देते हुए बताया कि देश के शहरी संपत्ति की तरह ही वन और वन्यजीव यह वनसंपत्ति काफी महत्वपूर्ण है. शहरी संपत्ति का और मनुष्य का संरक्षण करते हुए जीव खतरे में डालनेवाले पुलिस कर्मचारियों को राज्य शासन की ओर से विभिन्न लाभ दिए जाते है. साथ ही यह लाभ वनों का संरक्षण करते हुए जान जोखिम में डालनेवाले वनकर्मियों को मिले ऐसी वनकर्मियों की मांग थी. जो कि कई वर्षों से प्रलंबित थी.

    वन कर्मचरियों को भी अनेक बार अपनी जान खतरे में डालनी पडती है. जंगल में लगी आग दावानल को बूझाने, शिकार रोकने, वनों में पेडों की चोरी एवं अन्य प्रकार की चोरी रोकने, मानव बस्ती में प्रवेश कर गए वन्यजीव को बचाने के लिए वनकर्मी अपनी जान खतरे में डाल देते है. कई प्राकृतिक आपदाओं को वनकर्मियों को सामना करना पडता है. इस प्रकार कई बार वनकर्मियों को अपनी जान गंवानी पडती है. कई बार बुरी तरह से घायल हो जाते है. दिव्यांगता का खतरा रहता है.

    वनविभाग के प्रस्ताव अनुसार वनों एवं वन्यजीवों का संरक्षण करते हुए दुर्भाग्य से वनकर्मियों की मृत्यु हो जाए तो तो ऐसे में वनकर्मियों के आश्रितों को 25 लाख रुपये की सानुग्रह अनुदान दिया जाएगा., इसी तरह डयूटी पर रहते हुए मृत हुए वनकर्मियों के आश्रित को अनुकंपा के आधार पर प्रमुखता से नौकरी में लिया जाएगा., यदि आश्रित नौकरी करने में सक्षम ना हो तो या आश्रित ने नौकरी नकारी तो उक्त मृतक कर्मचाररी के नियत सेवानिवृत्त का वेतन उसके परिवार को दिया जाएगा. साथ ही कर्तव्य निभाते हुए मृत हुए वनकर्मियों के पार्थिव को परिवार द्वारा तय किए गए स्थान तक रास्ते, रेलवे, विमान आदि मार्ग से ले जाने का खर्च सरकार उठायेगी. 

    कर्तव्य निभाते हुए वनकर्मी यदि हमेशा के लिए दिव्यांग हो तो तो उक्त वनकर्मियों को श्रेणी के अनुसार सानुग्रह अनुदान दिया जाएगा. इसी तरह कर्तव्य निभाते हुए घायल हुए वनकर्मियों का उपचार का सम्पूर्ण खर्च शासन करेंगी. मंत्रिमंडल के आज के निर्णय के कारण वनकर्मियों को अब काफी लाभ मिलेगा. इसके चलते वनकर्मियों का नीतिधैर्य बढेगा ऐसा मुनगंटीवार का कहना है.