Front of National Native Bahujan Employees Association regarding various demands

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चंद्रपुर. महाराष्ट्र राज्य के 36 जिला कार्यालयों में पुरानी पेंशन लागू की जाए, राष्ट्रीय शिक्षा नीति को समाप्त करें, निजीकरण बंद करें, किया निजीकरण रद्द करें, केंद्र और राज्य सरकार के तहत स्कूलों, कॉलेजों को स्वायत्त, अंशकालिक न बनाएं. और अनुबंध कर्मचारियों को नियमित करने, अनुसूचित जाति के छात्रों के लिए फेलोशिप का भुगतान करना, महाराष्ट्र सरकार द्वारा लगाए गए मेस्मा अधिनियम को निरस्त करना, महाराष्ट्र सरकार के सरकारी प्रतिष्ठानों के निजीकरण के फैसले के खिलाफ नए श्रम कानून को निरस्त करना और पदों को निजी कंपनियों से भरने के शासन निर्णय के खिलाफ राष्ट्रीय मूलनिवासी बहु. कर्मचारी संघ ने जिलाधिश कार्यालय पर मोर्चा निकाला. 

महाराष्ट्र राज्य में, राष्ट्रीय मूलनिवासी बहुजन कर्मचारियों ने जिले के 358 तहसील में पुरानी पेंशन लागू करने हेतु आंदोलन किया था. साथ ही 14 मार्च 2023 से जब महाराष्ट्र राज्य के सभी शासकीय व अर्धसरकारी विभागों के कर्मचारी पुरानी पेंशन के अधिकार के लिए राज्य भर में हड़ताल पर थे तो हडताल को तोडने के लिए राज्य के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडवानीस ने तत्काल मेस्मा एक्ट लागू कर दिया था. भारत के संविधान के अनुच्छेद 43 में सरकारी-अर्ध-सरकारी कर्मचारियों को निर्वाह वेतन प्राप्त करने का अधिकार दिया है.

और अनुच्छेद 19 के अनुसार किसी भी कर्मचारी-अधिकारी को यह अधिकार है, लेकिन 2003 में भारतीय जनता पार्टी के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने इस कानून को रद्द कर दिया और बाद में कांग्रेस पार्टी के प्रधान मंत्री डॉ मनमोहन सिंह सरकार ने 2004 से लागू किया था. तब से कर्मचारी पुराने वेतन पेंशन को लागू करने के लिए ग्यारह साल से संघर्ष कर रहे हैं. परंतु प्रत्येक सरकार से कर्मचारीयों को केवल आश्वासन मिला है. 

जब सभी कर्मचारी हड़ताल पर थे तब महाराष्ट्र राज्य के सरकारी अर्ध-सरकारी विभागों में प्रतिष्ठानों का निजीकरण करने और कंपनियों के माध्यम से पदों को भरने के आदेश जारी किए गए हैं. ये दोनों फैसले जनविरोधी हैं. इन दोनों आदेशों का विरोध करने के लिए राष्ट्रीय मूलनिवासी बहुजन कर्मचारी संघ एवं संघ की शाखाओं द्वारा चंद्रपुर जिलाधिश कार्यालय पर मोर्चा निकाला गया. मोर्चा के दौरान राष्ट्रीय मूलनिवासी बहुजन कर्मचारी संघ जिला चंद्रपुर की ओर से नागरिकों और कर्मचारियों को नुकसान पहुंचाने वाले सरकार के दोनों निर्णयों को रद्द करने की मांग की गई. तत्पश्चात जिलाधिश के माध्यम से सरकार समक्ष मांगेा का ज्ञापन भेजा गया. 

इस आंदोलन में संतोष काकड़े, अशोक तुमराम, प्रा. कविता चंदनखेड़े, प्रा. सुचिता खोबरागड़े, धनराज गेडाम, नितेश सिडाम, दिनेश शाक्य, संघमित्रा सोनटक्के, डा. ज्योत्सना भागवत, रचना गेडाम आदि बड़ी संख्या में वन विभाग और शिक्षा विभाग के कार्यकर्ता उपस्थित थे. मोर्चा कार्यक्रम का संचालन प्रा. मनोहर बांद्रे व आभार के एस पडवेकर ने माना.