तलोधी-सावरगाँव-वाढोना क्षेत्र में अवैध उत्खनन, सड़क निर्माण में घटिया दर्जे की सामग्री का उपयोग

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बालापुर तलोधी: परिसर में धड़ल्ले से अवैध रूप से बालू, बजरी, मुरूम की तस्करी हो रही है. जिसकी वजह से राजस्व का करोड़ों रुपयों का नुकसान होने के बाद भी किसी तरह का कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है. सड़क निर्माण में घटिया दर्जे की सामग्री इस्तेमाल हो रही है.जिससे सड़क की गुणवत्ता पर प्रश्नचिन्ह निर्माण हो गया है.

चूंकि सरकार ने नदी-नाले से रेत की नीलामी नहीं की, इसलिए रेत चोरों की चांदी हो गई. इसके चलते प्रशासन की करोड़ों रुपये की वार्षिक आय रेत तस्करों के  खातों में जमा हो रही है.जबकि सरकार को सालाना करोड़ों रुपये का नुकसान उठाना पड़ रहा है.  बड़े अधिकारी भी रेत और बजरी की अवैध तस्करी और परिवहन के लिए आंखें मूंद रहे हैं. तो क्या यह अधिकारी अपना चढावा लेकर या राजनीतिक दबाव की आड़ में इस तस्करी को अनदेखा कर रहे हैं? 

इस तरह के सवाल लोगों द्वारा उत्पन्न हो रहे हैं, कुछ स्थानों पर नदी के नालों में रेत की कमी के कारण, नदी के किनारे के कुछ किसान भी लखपति हो रहे हैं. नदी किनारे वाले जिनके खेतों में बाढ़ से बालू जमा हो गई है उनसे 3-४  लाख रुपये में उसी भूमि को किराए पर लेकर से बालू खोदी जाती है, और घटिया बालू की आपूर्ति की जाती है.

नागभीड सड़क निर्माण विभाग में आलेवाही-वाढोना सड़क के लिए आवश्यक मुरुम का उपयोग अवैध उत्खनन द्वारा किया जा रहा है. कुछ की आपूर्ति सरकारी जगह पर खुदाई कर की जा रही है और कुछ लोगों के खेतों में से की जा रही है. सड़क का निर्माण भी घटिया दर्जे की सामग्री से किया जा रहा है.संबंधित निर्माण विभाग के अधिकारी इसकी अनदेखी कर रहे हैं.

वहीं, कुछ ट्रांसपोर्टरों से भारी भरकम मुआवजा लेकर तहसील कार्यालय के अधिकारी इस अवैध यातायात को नजरअंदाज कर रहे हैं. और जिन लोगों ने कुछ भी भुगतान नहीं किया है, उनके वाहनों को जब्त किया जा रहा है और कार्रवाई की जा रही है?  इसकी भी लोगों में चर्चा है.

हालांकि, बड़ी संख्या में अवैध तस्कर दिन-रात ट्रैक्टरों द्वारा घटिया गुणवत्ता वाली रेत और बजरी की खुदाई और आपूर्ति कर रहे हैं. और फिर उसी घटिया सामग्री का उपयोग निर्माण में किया जाता है और निर्माण भी कमजोर हो रहा है.  क्षेत्र के नागरिकों की मांग है कि वरिष्ठ अधिकारियों को इस पर ध्यान देना चाहिए और इसे नियंत्रण में लाना चाहिए.

इस अवैध उत्खनन और परिवहन से क्षेत्र में बहुत नुकसान हो रहा है.  किसी भी स्थान पर नदी-नाले में बड़े-बड़े गड्ढे खोदे जा रहे हैं, तो कही सरकारी जमीन में बड़े पैमाने पर इसकी खुदाई मुरम के लिए की जा रही है और इस जगह का इस्तेमाल अतिक्रमण के लिए किया जा रहा है. वाहनों से खनिज तस्करी करते समय उनकी रफ्तार भी काफी तेज होती है, इसलिए दुर्घटना की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है.  कुछ दिन पहले रत्नापुर बिट में बाघ की मौत को लेकर बालू तस्करों के वाहन से टक्कर होने क्षेत्र में चर्चाएं चल रही हैं.