File Photo
File Photo

    Loading

    चंद्रपुर. मूल तहसील जंगल से घिरा होने की वजह से परिसर के खेतों में काम करने वाले अक्सर हिंसक जानवरों के हमले की घटना होती रहती है. पिछले दो वर्षो में मूल तहसील में बाघ के हमले में 10 लोगों की मौत हो गई और 13 के घायल होने की जानकारी वनविभाग के रिकार्ड में दर्ज है.

    जंगल का क्षेत्रफल नहीं बढ रहा है किंतु अतिक्रमण और पेडों की कटाई की वजह से घने  जंगल कम होते जा रहे है. इसकी वजह से जंगली जानवर कई बार गांव के पास तक पहुंच जाते है. इसके अलावा जलावन लाने, महुआ बीनने, मवेशी चराने और तेंदूपत्ता तुडाई के लिए ग्रामीण पास के जंगल में जाते है और हिंसक जानवरों का शिकार हो जाते है.

    इसलिए वनविभाग बार बार ग्रामीणों को जंगल में न जाने खेतों में जाते समय झुंड में जाने की सलाह देता है. इसके बावजूद इस प्रकार की घटना होती रहती है. इस प्रकार की घटनाएं जंगल से सटे गांव में अधिक होती है. मूल तहसील के जंगल क्षेत्र में बाघ, तेंदुआ, भालू, जंगली भैंसा जैसे जानवर दिखाई देते है.

    वनविभाग के रिकार्ड के अनुसार पिछले दो वर्षो में बाघ ने कवलपेठ निवासी संतोष गुरनुले, चिचाला के शंकर किसन दुधबले, गुलाब महादेव निकुरे, आगडी निवासी कल्पना नामदेव वाढई, जानाला के कीर्तिराम देवराव कुडमेथे, डोनी के विजयलाला दादा पेंदोर, करवन के भीमराव वेलादी, जानाला के वसंत गेडाम, आदर्शखेडा के मनोहर अडकु प्रधाने, और चिंचोली के राजेंद्र नामदेव ठाकरे की मौत बाघ के हमले में हुई है.

    उसी प्रकार 13 लोगा हिंसक जानवरों के हमले में घायल हुए है. घायलों में चंद्रपुर के पशु वैद्यकीय अधिकारी डा. रविकांत खोब्रागडे का भी समावेश है. इसके आलवा बीसियों मवेशी भी हिंसक जानवरों के हमले में मारे गए है.

    जलावन, अपने मवेशियों को जंगल में चराने गांव के लोग अक्सर जाते है और हिंसक जानवरों का शिकार हो जाते है. वनविभाग की ओर से बार बार सूचना दिए जाने के बावजूद इस ओर ग्रामीण ध्यान नहीं देते है.=