जिले में प्रदूषण फैला रहे है उद्योग, लोगों की जान से बड़ा कोई उद्योग नहीं- वडेट्टीवार

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    • प्रदूषण नियंत्रण समीक्षा बैठक् में बरसे पालकमंत्री
    • नियम तोडनेवालों पर सख्त कार्रवाई के आदेश

    चंद्रपुर. चंद्रपुर जिले का प्रदूषण एक बार फिर चर्चाओं में है. हाल ही में स्वयंसेवी संगठनों ने कृत्रिम फेफडों के माध्यम से चंद्रपुर की प्रदूषण की स्थिति को रेखांकित किया वहीं जलप्रदूषण को लेकर भी पर्यावरणवादी संगठनों द्वारा ध्यान आकर्षित किया जा रहा है.

    प्रदूषण की गंभीर होती समस्या की ओर सरकार का ध्यान खींचे जाने के बाद आज पालकमंत्री विजय वडेट्टीवार ने प्रदूषण नियंत्रण की समीक्षा बैठक ली और इसमें उन्होने स्पष्ट कहा कि लोगों की जान बढकर कोई उद्योग नहीं है. प्रदूषण नियंत्रण के नियमों को जो भी उद्योग तोडता हुआ पाया जाता है तो उसके खिलाफ कड़े से कड़े कदम उठाये.

    पालकमंत्री ने कहा कि बढते औद्योगिक प्रदूषण के कारण चंद्रपुर शहर और आसपास के परिसर में पेड़ पौधों पर इसका असर नजर आ रहा है. विश्व पटल पर एकमात्र यह उदाहरण है जहां पेड़ों का रंग हरा होने के बजाय काला दिखाई दे रहा है. इसी तरह प्रदूषण की समस्या की तीव्रता जानने के लिए शहर में लगाये गए कृत्रिम फेफडे चार-पांच दिनों में काले हो गए थे.

    इससे चंद्रपुर में प्रदूषण की स्थिति कितनी गंभीर है स्पष्ट होता है. पालकमंत्री ने कहा कि कंपनियां केवल मुनाफाखोरी में व्यस्त है नागरिकों के जीवन से खेल रही है. जो कि गंभीर चिंता का विषय है. लोगों की जान से बड़ा कोई उद्योग नहीं इसलिए प्रशासन प्रदूषण नियंत्रण के लिए कड़ी कार्रवाई करें.

    प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों को बंद करें सेवा सुविधा देना

    पालकमंत्री वडेट्टीवार ने स्वयं स्वीकार किया कि जिले में प्रदूषण की समस्या गंभीर रूप लेती जा रही है. उन्होने कहा कि हमारा उद्योगों से कोई विरोध नहीं है परंतु नियमों के तहत उद्योग चलने चाहिए, कोई भी किसी भी प्रकार का उल्लंघन नहीं करना चाहिए यही हमारी नीति है. केवल मुनाफा कमाने के पीछे ना भागे नागरिकों के जीवन का भी ध्यान रखे. परंतु ऐसा होता नजर नहीं आ रहा है.बढते प्रदूषण के कारण लोगों का स्वास्थ्य खतरे में है. नियमों को ताक पर रखकर उद्योग चलाये जा रहे है.प्रदूषण नियंत्रण के संदर्भ में कंपनियों की ओर से उल्लंघन हो रहा है तो ऐसे उद्योगों को सरकार से दी जारही सभी मूलभूत सुविधा देना बंद करें. ऐसा आदेश पालकमंत्री ने दिया.

    वेकोलि को लिया आड़े हाथों

    पालकमंत्री वडेट्टीवार ने जिले में प्रदूषण के लिए वेकोलि को आडे हाथों लेते हुए कहा कि वेकोलि ने जिले की गत बना दी है. कोयले के सायडिंग पर कभी पानी नहीं मारा जाता है इससे सम्पूर्ण परिसर में धूल उड़ती है. रास्तों पर क्षमता से अधिक ओवरलोड वाहन चलाये जा रहे है. इस ओर पुलिस और उपप्रादेशिक परिवहन विभाग को गंभीरता से ध्यान देना होगा.

    ग्रामीण रास्तों पर ढुलाई की क्षमता 10 टन की होती है अन्य जिला मार्ग की क्षमता 15 टन, जिला मार्ग 20 टन और राज्य एवं राष्ट्रीय महामार्ग पर ढुलाई क्षमता 25 टन से अधिक होती है.परंतु ग्रामीण रास्तों पर भी 40 टन की क्षमता से ढुलाई हो रही है. इसलिए ऐसे वाहनों पर कड़ी कार्रवाई करें. नागरिकों के सुविधा के लिए बने रास्ते किसी भी परिस्थिति में उखडने नहीं चाहिए.

    कोलवाशरीज को नोटिस जारी करने के निर्देश

    वडेट्टीवार ने कहा कि बड़े बड़े उद्योगों ने और कोयला खदानों ने जिले के नदी नालों का प्रवाह बदल दिया गया है दोहन करे और पैसे कमाये यह कंपनियों की नीति दिख रही है. लोग यहां रोज मर रहे है, लोगों के फेफडे काले हो रहे है. परंतु इस बारे में किसी को भी कोई सरोकार नहीं है. इसे कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. प्रदूषण नियंत्रण के बारे में और परिवहन पर नियंत्रण रखने के लिए राजस्व, सार्वजनिक निर्माणकार्य, पुलिस और उपप्रादेशिक परिवहन यातायात विभाग की संयुक्त समिति तुरंत गठित करें साथ ही कोलवाशरीज को नोटिस देने के आदेश उन्होने प्रशासन को दिए.

    जिलाधिकारी कार्यालय में ली गई प्रदूषण नियंत्रण समीक्षा बैठक में जिलाधिकारी अजय गुल्हाने, मुख्य कार्यकारी अधिकारी डा. मिताली सेठी, जिला पुलिस अधीक्षक अरविंद सालवे, अतिरिक्त जिलाधिकारी विद्युत वरखेडकर, मनपा आयुक्त राजेश मोहिते, जिला नियोजन अधिकारी गजानन वायाल, जिला उद्योग केन्द्र के प्रबंधक स्वप्नील राठोड, महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण मंडल के प्रादेशिक अधिकारी अशोक करे आदि उपस्थित थे.इसके अलावा डब्ल्यूसीएल, कोलवाशरीज, ग्रेस इंडस्ट्रीज, चमन मेटालिक, गोपानी आदि कंपनी के प्रतिनिधि उपस्थित थे.