अकेला ताड़ोबा नहीं बल्कि जिले में कई और है कुदरत के नजारे…. देखें

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    • माणिकगड किला, अमननाला डैम, जूनोना जलमहल, घोडाझडी, मुक्ताई, सोमनाथ, रामदेगी में भी जुटती है भीड़
    • आज विश्व पर्यटन दिवस

    किसी भी क्षेत्र की प्रसिध्दि वहां के प्रमुख और चर्चित क्षेत्रों से होती है. जब भी चंद्रपुर का नाम आता है तो सभी के दिलोदिमाग पर पट्टेदार बाघों के लिए ताड़ोबा का ही जिक्र आता है. ताड़ोबा वास्तव में देश और दुनिया के पर्यटकों के लिए प्रसिध्द है. परंतु यहां चंद्रपुर में कई ऐसे क्षेत्र है जहां कुदरत के अदभुत नजारे है जो कि आज भी उपेक्षित है. इन पर्यटन स्थलों की ओर कभी किसी का ध्यान नहीं गया अन्यथा यह देश विदेश के पर्यटकों के लिए ताड़ोबा की तरह ही आकर्षण का केन्द्र बन सकते है.

    जिले भर के लोगों को जब भी वीकेंड में परिवार के साथ घुमने फिरने का मन करता है वे जिले के अदभुत नजरों से भरे पर्यटन स्थलों माणिकगड किला, अमलनाला डैम, जुनोना जलमहल, घोड़ाझरी, मुक्ताई, सोमनाथ, रामदेगी समेत अन्य स्थानों पर पहुंच जाते है.उंची पहाडियां, उंचाई से बहते झरने, चारों ओर छायी हरियाली सभी को मोहित करती है.

    इनमें से अधिकाशं ऐसे क्षेत्र है जहां पर्यटकों को किसी भी तरह कोई शुल्क नहीं देना पड़ता है. ऐसे में ऐसे नजरों का लुत्फ उठाने हजारों की संख्या में भीड़ जुटती है. ऐसे स्थानों पर सुरक्षा का सबसे अहम सवाल निर्माण होता है. राज्य सरकार एवं जिला प्रशासन द्वारा ताड़ोबा की तरह ही इन सभी क्षेत्रों का विकास करें तो पर्यटन क्षेत्र में राजस्व प्राप्ति की कई संभावनाएं है.  

    उल्लेखनीय है कि पट्टेदार बाघों के संरक्षण के लिए यहां विश्व का सबसे प्रसिध्द ताड़ोबा_अंधारी व्याघ्र प्रकल्प है. इस अभयारण्य में बाघों को मुक्त वातावरण में घुमता हुआ देखने की चाह में देश_विदेश से प्रतिवर्ष लाखों लोगों का आगमन यहां होता है. उत्तम अधिवास और वन्यजीव क्षेत्र में संरक्षण के कारण बाघ और वन्यजीवों की संख्या में बढोत्तरी हुई है.

    बाघों की बढती संख्या और उनके संरक्षण का अंदाज इस बात से लगाया जा सकता है कि अब तक चंद्रपुर जिले में एकमात्र ताड़ोबा-अंधारी अभयारण्य था परंतु बाघों की बढती संख्या को देखते हुए नागभीड़ तहसील में घोड़ाझरी अभयारण्य और गोंडपिपरी तहसील में कन्हालगांव अभयारण्य की घोषणा कर राज्य सरकार को इन क्षेत्रों के जंगल को संरक्षित करना पड़ा है. इसके अलावा वनविभाग द्वारा जिले के कई अन्य क्षेत्रों में जो संरक्षित नहीं है परंतु वहां बाघों का अधिवास होने पर सफारी शुरू की गई है. जिले के लगभग 800 गांव जंगलों से घिरे है. वनपर्यटन से वनविभाग को अच्छा खासा राजस्व प्राप्त हो रहा है.

    अन्य क्षेत्रों की बात की जाए तो चंद्रपुर तहसील में शहर से सटे जुनोना तालाब परिसर में निर्मिति ऐतिहासिक गोंडकालिन जलमहल है. जोपुरातत्व विभाग के अधीन है. इसके संवर्धन और सौंदर्यीकरण की मांग निरंतर की जारही है.चंद्रपुर शहर और जिला ऐतिहासिक गोंडकलिन अनेक वास्तू के लिए पहचाना जाता है.

    चंद्रपुर सहित विदर्भ के भूप्रदेश पर 500 अधिक वर्ष राज करनेवाले गोंडराजा ने अपने कार्यकाल में किले, मंदिर,समाधियां, बावडियां ऐसे अनेक वास्तू का निर्माणकार्य किया है. इसमें से एक गोंडराजा खांडक्या बल्लालशाह के कार्यकाल में निर्मित हुए जूनोना गांव के तालाब के तट पर जलमहल है. इस जलमहल की ओर आज भी पुरातत्व विभाग का ध्यान नहीं जाने से यह खंडहर बन गया है. .शहर में इरई डैम है जो सीटीपीएस के अधीन है. इसके आसपास का क्षेत्र भी पर्यटकों को लुभाता है स्थानीय नागरिक यहां घुमने फिरने आते है.

    जिले में कुदरती नजारों के लिए कोरपना तहसील में स्थित मानिकगड किला, अमलनाला डैम,प्राचीन मंदिर और उंची उंची पर्वतमालाएं सभी को लुभाती है. इसके आसपास ही पकडीगुडम डैम है. कोरपना तहसील के गडचांदूर के समीपस्थ पहाड़ियों के बीच स्थित अमलनाला बांध स्थानीय उद्योगों, किसानों और मछुआरों के लिए काम आता है यहां के कुदरती सौंदर्य को देखते हुए इस क्षेत्र को पर्यटनस्थल के रूप में स्थापित करने की दिशा में सरकार ने प्रयास शुरू कर दिए.

    अमलनाला बांध गड़चांदूर शहर के समीपस्थ माणिकगड़ टेकडियों से जुड़ा हुआ है. प्राकृतिक रूप से उंची टेकडियों से बहता हुआ पानी यहां रोका जाता है. ऐसी स्थिति नैनीताल स्थित झीलों की है जहां पहाड़ियों से उतरकर जल झीलों में जमा होता है चारों और घना जंगल और पहाड़ों के बीच बांध का लुत्फ लेने दूर दूर से पर्यटक आते है. यहां कुछ दूरी पर ही माणिकगड़ किला है, किले के बाहर भगवान विष्णू का मंदिर जो नक्काशी कर बड़ी शिलाओं से बनाया गया है.

    मूल तहसील का सोमनाथ, चिमूर तहसील के मुक्ताई, रामदेगी,नागभीड़ तहसील के घोड़ाझरी डैम आदि पर्यटन स्थल जहां वीकेंड पर लोगों की भीड़ नजर आती है. बल्लारपुर के विसापुर ग्राम में निर्मित होनेवाला बॉडनिकल गार्डन भी भविष्य में पर्यटकों के लिए आकर्षण का केन्द्र होगा.