accident

Loading

चंद्रपुर: किसानों को दुर्घटना में मृत्यु अथवा विकलांगता आने पर सहायता के लिए सरकार की ओर से किसान दुर्घटना बीमा योजना है परंतु इसकी जटिल नियमावली के कारण यह योजना किसानों के लिए मृगतृष्णा साबित हो रही है. जिसके फलस्वरूप कई किसान लाभ से वंचित रहने की संभावना नजर आरही है.

सरकार ने 2005-06 में किसान बीमा योजना शुरू की. 26 नवंबर 2014 में इसका नामकरण गोपीनाथ मुंडे किसान दुर्घटना बीमा योजना किया गया. इस योजना अंतर्गत दुर्घटना में मृत्यु होने अथवा दो आंखों से और किसी एक अंग से विकलांग होने पर दो लाख रुपये और एक आंख और किसी एक अंग से अपाहिज होने पर एक लाख रुपये की मदद दी जाती है. खेतों में काम करते हुए किसानों को कई तरह के संकटों का सामना करना पड़ता है.

गाज गिरने, सर्पदंश, बिजली का करंट लगने आदि दुर्घटना होने पर किसानों को बीमा का लाभ दिया जाता है. घर के कर्ताधर्ता व्यक्ति की मृत्यु होने अथवा अपाहिज होने पर उसके परिवार पर इसका गंभीर असर होता है.उसका आय का साधन बंद हो जाता है. ऐसे परिस्थिति में किसानों को इस बीमे का आधार मिलता है. परंतु चंद्रपुर जिले में इस योजना अंतर्गत लाभ लेनेवाले किसानों की संख्या अंगुलियों में गिनने इतनी है. यंत्रणा के जटिल प्रणाली की वजह से किसानों को इन लाभ से वंचित होना पड़ रहा है.

खामियों के चलते चक्करें काटने पड़ते है

दुर्घटना बीमा का लाभ लेने के लिए संबंधित किसान द्वारा कृषि विभाग में आवेदन करना पड़ता है. आवश्यक कागजात संबंधित बीमा कंपनी के पास कृषि विभाग जमा करता है. परंतु संबंधित बीमा कंपनी बारंबार त्रृटियां निकालने एवं मृत हो चुके किसान की पोस्टमार्टम रिपोर्ट वर्षों तक नहीं मिलने से अनेक किसानों और उनके परिवारों को बीमा कैसे हासिल किया जाए इसका ही पता नहीं होता है और इसी कारण से जिले में कई किसान इस योजना से वंचित है. बीमा कंपनियों की चालाकियों से ना केवल किसान बल्कि कृषि विभाग के कर्मचारियों को काफी परेशानी उठानी पड़ रही है.इसलिए यह योजना केवल नाम की योजना रह गई है.