
- चिमूर के खडसंगी वनक्षेत्र वहानगांव की घटना
- बाघों संख्या में इजाफा, कम पडने लगा है अधिवास
चंद्रपुर/ चिमूर: चिमूर वनपरिक्षेत्र अंतर्गत खडसंगी वनक्षेत्र वहानगांव में दो बाघों के आपसी संघर्ष में एक बाघ की मौत हो गई जबकि दूसरा बाघ गंभीर रूप से घायल है. यह घटना आज मंगलवार 14 नवंबर को दोपहर 3.30 बजे वहानगांव के सुभाष दोडके के खेत में उजागर हुई. बाघों का संघर्ष इस कदर रोमांचक रहा कि एक की मौत होने के साथ दूसरा भी बुरी तरह घायल हो गया और वहीं बैठा हुआ था.
ऐसे में जानकारी मिलने पर बाघों को देखने के लिए बडी संख्या में आसपास के ग्रामीण एकत्रित हो गए. मृतक बाघ नर होकर उसकी आयु 6 से 7 वर्ष होने की जानकारी है.वहीं घायल बाघ की उम्र भी 6-7 वर्ष के आसपास है. उसकी हालत नाजुक है. घटना स्थल पर वनविभाग के अधिकारी पहुंचे है. घायल बाघ कुछ देर बाद जंगल की ओर जाने पर वन विभाग उसके रेस्क्यू में लगा हुआ है.
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार सुबह 11.30 बजे से लेकर लगभग 1.30 बजे तक दोनों बाघो के बीच संघर्ष हुआ. आसपास के खेत में मौजूद लोगों ने दोनों के बीच जारी संघर्ष को अपनी आंखों से देखा और कई लोगों ने अपने मोबाईल से फोटो खींचे और विडिओ बनाये. बताया जाता है कि चार दिन पूर्व बाघ ने पुंडलिक दोडके खेत में एक बैल का शिकार किया था.
विदित हो कि ताड़ोबा संरक्षित और बफर क्षेत्र में बाघों की संख्या इस कदर बढ गई है कि अब संरक्षित क्षेत्र में बाघों के अधिवास के लिए जगह नहीं बची है. ऐसे में अधिवास के लिए बाघों का संघर्ष होना स्वाभाविक है.चंद्रपुर जिला पूरे विश्व में पट्टेदार बाघों के लिए विख्यात है. यहां जिले में लगभग एक दशक पूर्व 2014 में जब बाघों की गणना की गई थी तो उस समय 111 बाघों का अधिवास चंद्रपुर में होने की बात सामने आयी थी. पिछले एक दशक में बाघों के संरक्षण पर जिस तरह से गंभीरता दिखाई गई उसके फलस्वरूप इनकी संख्या में इतनी तेजी हुई कि वर्ष 2020 तक जिले में 246 से अधिक बाघों के मौजूद होने का प्रमाण मिला है.
बाघों की बढती संख्या और उनके संरक्षण का अंदाज इस बात से लगाया जा सकता है कि अब तक चंद्रपुर जिले में एकमात्र ताड़ोबा_अंधारी अभयारण्य था परंतु बाघों की बढती संख्या को देखते हुए नागभीड़ तहसील में घोड़ाझरी अभयारण्य और गोंडपिपरी तहसील में कन्हालगांव अभयारण्य की घोषणा कर राज्य सरकार को इन क्षेत्रों के जंगल को संरक्षित करना पड़ा है. इसके अलावा वनविभाग द्वारा जिले के कई अन्य क्षेत्रों में जो संरक्षित नहीं है परंतु वहां बाघों का अधिवास होने पर सफारी शुरू की गई है. जिले के लगभग 800 गांव जंगलों से घिरे है.