
भिसी. शहर के पालतू जानवरों में निमोनिया सदृश्य बीमारी फैलने से पशुपालकों में चिंता बढ़ गई है. दो सप्ताह पूर्व बछड़ों की मौत होने के बावजूद पशुसंवर्धन विभाग इस ओर अनदेखी किए हैं. ऐसा आरोप लगाया जा रहा है. यहां का पशु अस्पताल प्रभारी पशु मेडिकल अधिकारी के भरोसे है. डा. धोटे की स्थायी नियुक्ति साठगांव( कोलारी ) के पशु अस्पताल में हैं. उन्हें भिसी पशु अस्पताल का प्रभार सौंपा गया है. किंतु प्रभारी डाक्टर भिसी में सप्ताह में तीन दिन रहते हैं. इससे जानवरों का उचित उपचार नहीं हो पाता है.
नहीं मिलते पशुचिकित्सक
भिसी और ग्रामीण परिसर के पशुपालक, किसान अपने बीमार जानवरों को उपचार के लिए अस्पताल लाते हैं, किंतु समय पर पशुचिकित्सक न मिलने से जानवरों को खतरा पैदा होता है और पशु पालकों का आर्थिक नुकसान होता है. राजस्थानी लोगों की लाल गाय का झुंड भिसी परिसर में आया था. उनके झुंड के जानवर बीमार थे.
उनके जानवरों से यहां के जानवरों को बीमारी होने का डर सता रहा है. भिसी के गणेश गभणे ने बताया कि अब तक बीमारी से दो जानवरों की मौत हो चुकी है. पशु चिकित्सक ने होने से पशुपालकों को निजी पशु चिकित्सक से उपचार कराया किंतु बछड़ा बच नहीं सकता.
बिना डाक्टर के चिकित्सालय
भिसी पशु चिकित्सालय के लिए जिला परिषद की ओर से 1 करोड़ रुपए की निधि मंजूर हुई है. इससे नई इमारत का निर्माण होगा. अपर तहसील का दर्जा प्राप्त नगर पंचायत भिसी में स्थायी पशु चिकित्सक न होने से एक करोड़ की बिल्डिंग का क्या फायदा?
डाक्टर की नियुक्ति की मांग
जिप सदस्य ममता डुकरे ने कहा कि जिप सीईओ से भिसी में पशु वैद्यकीय अस्पताल में डी.एच. मेश्राम की स्थायी नियुक्ति की लिखित मांग की गई है. किंतु आज तक मांग पूरी नहीं हुई है, इसकी वजह से पशुपाक चिंतित हैं.