Embraced 18 times, still betrayed by China, MP Dhanorkar criticizes foreign policy

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चंद्रपुर. एक शिवसेना कार्यकर्ता से सांसद तक का रहा था 47 वर्षीय सुरेश धानोरकर का राजनीतिक सफर. यह सफर उन्होंने मात्र 13 वर्ष में ही पूर्ण कर लिया था. जिले के भद्रावती में 4 जुलाई 1975 को जन्में सुरेश धानोरकर ने भद्रावती के विवेकानंद कॉलेज से शिक्षा ग्रहण की. यूं तो उन्होंने बीए पाठ्यक्रम के लिए कॉलेज में प्रवेश लिया था, लेकिन यह शिक्षा अधूरी ही छोड़ कर उन्होंने डी फार्म करना चाहा, लेकिन यह शिक्षा भी वे पूर्ण नहीं कर पाए, उनकी रुचि राजनीतिक क्षेत्र में नाम कमाने की ओर अधिक थी. उन्होंने शिवसैनिक के रूप में काम करना प्रारंभ किया.

शिवसेना के तालुका प्रमुख पद पर काम करते हुए उनके भीतर की ऊर्जा को भांपते हुए आयु के 31 वें वर्ष में ही उन्हें शिवसेना ने चंद्रपुर जिला प्रमुख की कमान सौंपी थी. वर्ष 2009 में उन्होंने पहली बार विधानसभा चुनाव में नसीब आजमाकर देख लिया, लेकिन मामूली अंतर से वे चुनाव जीत नहीं सके. वर्ष 2014 में उन्होंने पुनः शिवसेना की टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ा और वे विधायक के तौर पर महाराष्ट्र विधानसभा में पहुंचे.

वर्ष 2019 को उन्होंने कांग्रेस में प्रवेश कर लोकसभा चुनाव लड़ा. इस चुनाव में वे मोदी लहर के बावजूद चंद्रपुर संसदीय क्षेत्र से बहुमत से जीत गए. इस जीत से वे महाराष्ट्र के एकमात्र निर्वाचित सांसद के रूप में पहचाने जाने लगे थे. उन्होंने भाजपा के पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री हंसराज अहीर को पराजित किया था. राजनीतिक क्षेत्र में वे अभी और लंबी पारी खेलेंगे ऐसी उम्मीद व्यक्त की जा रही थी कि, अचानक उन्होंने दुनिया से विदा ले ली.