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    • लक्ष्य से अधिक कोयले की आपूर्ति; वेकोलि

    चंद्रपुर/दुर्गापुर: कोयले की आपूर्ति ठप होने से राज्य पर छाया बिजली संकट बरकरार है. एक तरफ उर्जामंत्री का कहना है कि राज्य में बिजली संकट कोयले की कमी से है. वहीं वेकोलि अधिकारियों ने दावा किया है कि वेकोलि लक्ष्य से अधिक कोयले की आपूर्ति कर रहा है. इसलिए बिजली संकट नहीं होना चाहिए.

    पूरे देश में कोयले की कमी से बिजली पावर के उत्पादन में कमी को जिस प्रकार से अफवाहें फैलाई जा रही है , उस सन्दर्भ में जब चन्द्रपुर  महा औषनिक  विद्युत केंद्र के कोयला आपूर्ति के मुख्य स्रोत वेकोलि चन्द्रपुर क्षेत्र से जानकारी हासिल की गई तो बहुत ही सकारात्मक तथ्य हासिल हुआ है.

    जानकारी अनुसार वेकोलि चन्द्रपुर क्षेत्र पहले से डेढ़ गुना ज्यादा कोयला आपूर्ति कर रही है.पहले सीटीपीएस को वेकोलि चन्द्रपुर प्रति दिन 8000 टन कोयला विभिन्न स्रोतों से दिया करती थी जबकि अब कुछ महीनों से औसतन 12000 टन कोयला प्रति दिन सीटीपीएस को दिया जा रहा है. पिछले वित्तीय वर्ष के पूरे साल में 34 लाख टन कोयले सीटीपीएस को दिया गया था.

    जबकि 1 अप्रैल 2021 से अबतक भरपूर बारिश होने के बावजूद  21 लाख टन कोयले सीटीपीएस को दिए जा चुके है. पूरे वित्तीय वर्ष 2021-2022 में रिकॉर्ड 56 लाख टन कोयले सीटीपीएस को देने के लिये वेकोलि चन्द्रपुर क्षेत्र ने लक्ष्य रखा है. अगर ऐसा हो पाया तो  वेकोलि चन्द्रपुर क्षेत्र पिछले वर्ष से  22 लाख टन अधिक कोयला सीटीपीएस को मिल पायेगा.

    इस प्रकार वेकोलि चन्द्रपुर क्षेत्र अपनी तरफ से अधिकतम कोयले  बिजली उत्पादक सीटीपीएस को देने की कोशिश में है.जानकारी अनुसार इसी प्रकार से कोल इंडिया के लगभग हर क्षेत्र और कपनियों ने कोयले के उत्पादन बढ़ाकर संबंधित बिजली केंद्रों को अधिकतम दे रही है. वेकोलि चन्द्रपुर क्षेत्र अपने कोयले उत्पादन का 95 फि स दी कोयले बिजली केंद्र को देती है जबकि मात्र 5 फीसदी कोयले स्थानीय उद्योगों को दिया करती है.

    सीटीपीएस में तीन दिन के कोयले शेष

    सीटीपीएस से मिली जानकारी अनुसार उनके पास मात्र तीन दिन का  कोयला बचा है,बावजूद घबराने की जरूरत नहीं है.पिछले एक महीने से यही स्थिति है. प्रतिदिन सिटीपीएस में 26 हजार से 28 हजार तक कोयले की खपत है.लगभग इतना ही कोयले वेकोलि चन्द्रपुर क्षेत्र सहित अन्य स्रोत से कोयले सीटीपीएस तक पहुँच जा रहा हैं.जरूरत और आपूर्ति दोनों बराबर रहने से तीन दिन का कोयले का स्टॉक एक महीने से बरकरार है. सीटीपीएस के कुल 7 यूनिट में से यूनिट न.3 ओवर वाल के लिए बंद है जबकि यूनिट क्रमांक 5 कोयले की सामंजस्य बैठाने के लिए बंद रखे जाने की खबर है.

    बिजली उत्पादन बढाने पर जोर: राऊत

    बिजली संकट के संदर्भ में पत्र परिषद में राज्य के उर्जामंत्री नितीन राऊत ने कहा कि कोयला संकट के कारण राज्य में बिजली निर्मिति की कमी हुई है. आवश्यकता अनुसार खुले बाजार से महंगी दर से बिजली खरीदी कर ग्राहकों की आवश्यकता को पूरा किया जारहा है. राज्य में कही भी भारनियमन नहीं किया जारहा है. बिजली उत्पादन बढाने के लिए उचित नियोजन किया जा रहा है.

    उर्जामंत्री का कहना है कि राज्य में मांग की तुलना में 3 हजार मेगावट बिजली की कमी हो रही है. यह कमी पूर्ण करने के लिए राज्य सरकार पूरा प्रयास कररही है. उन्होने कहा कि राज्य के महानिर्मिति औष्णिक प्रकल्पों को कोयले की आपूर्ति नियमित हो इसके लिए दो महीने से केन्द्रीय कोयलामंत्री प्रल्हाद जोशी एवं केन्द्रीय उर्जामंत्री आर.के. सिंग से नियमित संपर्क में है शीघ्र ही इस संकट से उबर जाएंगे. उर्जामंत्री राऊत ने सभी बिजली उपभोक्ताओं से आहवान भी किया है कि बिजली संकट को देखते हुए सुबह और शाम 6 से 10 बजे के बीच अपने घरों में बिजली उपकरणों का कम से कम इस्तेमाल कर महावितरण को सहयोग करें.

    उल्लेखनीय है कि महानिर्मिति की कुल स्थापित क्षमता 13 हजार 186 मेगावाट है. इसके अलावा अन्य कंपनियों से भी महावितरण बिजली खरीदती है. कोयला संकट के कारण चार और मेन्टेनेन्स के लिए तीन ऐसे सात यूनिट होने से राज्य के तीन हजार मेगावाट बिजली कम उत्पादित हो रही है. महानिर्मिति द्वारा कोयले और बिजली उत्पादन प्रबंधन में उत्तम समन्वय और संतुलन बनाये रखने के लिए कोयले की आवक बढाई है. बिजली उत्पादन बढाने के बावजूद कोयले के भंडार में सुधार हो रहा है.

    उर्जामंत्री का कहना है कि कोल इंडिया से जो कोयला मिल रहा है उसका दर्जा सही नहीं है. इसके  चलते बिजली के उत्पादन और गुणवत्ता पर असर हो रहा है. इसके अलावा गैस पर बिजली निर्मिति प्रकल्प के लिए समझौते के अनुसार गैस नहीं मिल रही है. केवल 30 प्रश गैस आपूर्ति महाराष्ट्र को की जा रही है. जिन कंपनियों से दीर्घकालिन करार किया है उनमे से सीजीपीएल और जेएसडब्ल्यू  ने सस्ती बिजली देना बंद कर दिया है.