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    चंद्रपुर. शराबबंदी हटने के बाद अब जिले में नियमों को ताक पर रखकर और मूल लाइसेंस धारक के कानूनी वारिसों को छोड़कर किसी अन्य के नाम शराब दुकान के लायसेंस के नवीनीकरण का एक मामला सामने आया है.

    जिलाधिकारी तथा आबकारी अधीक्षक द्वारा किये गए इस नवीनीकरण के विरोध में लाइसेंस धारक के वारिसों ने परिवार समेत जिलाधिकारी कार्यालय के समक्ष 26 अक्टूबर से अनशन पर बैठने की चेतावनी दी है.

    यहाँ एक पत्रपरिषद में अपनी बात रखते हुए इंदूबाई ताजने ने बताया कि, वह एक विधवा और वयोवृद्ध महिला है. उनके ससुर उद्धव सदाशिव ताजने के पास वर्ष 1973 से देशी शराब का लाइसेंस है. उनके ससुर का वर्ष 1997 में देहांत हुआ, इसके पश्चात उनके पति वसंतराव ताजने कानूनी वारिस के रूप में इस लाइसेंस के हकदार बनते थे, उनके पास न्यायालय द्वारा जारी किया गया कानूनी वारिस प्रमाणपत्र भी था, पति की भी मौत के बाद यह वारिस अधिकार उनकी पत्नी होने के नाते उन्हें प्राप्त होना चाहिए था.

     विधवा वृद्धा ने बताया कि, शराबबंदी हटने के बाद इस लाइसेंस के नवीनीकरण के दौरान जिलाधिकारी तथा आबकारी अधीक्षक द्वारा कानूनी वारिस के रूप में उसका विचार करना जरूरी था, किंतु ऐसा नहीं हुआ, और इस लाइसेंस का नवीनीकरण सरकारी विभागों ने उनके देवर रामदास ताजने के नाम कर दिया. 

    उन्होंने आरोप लगाया कि, इस लाईसेंस की नवीनीकरण प्रक्रिया में जिलाधिकारी और आबकारी अधीक्षक ने सरेआम सरकारी नियमों की धज्जियां उड़ा दी है. वारिसों के विवाद उत्पन्न होने पर शराब दुकानों के लाइसेंस का नवीनीकरण नहीं करने के स्पष्ट आदेश महाराष्ट्र सरकार द्वारा जारी किए जा चुके है, लेकिन यहां अधिकारियों ने उक्त नियमों को अनदेखा कर नवीनीकरण प्रक्रिया पूर्ण की है.

    विधवा महिला ने आरोप लगाया कि, अधिकारियों की इस अनियमितता के चलते उनपर और उनके बेटों पर अन्याय हुआ है. उनका परिवार सर्वथा इस लाइसेंस पर निर्भर था. नियमों को ताक पर रखकर लाइसेंस के नवीनीकरण की इस प्रक्रिया के विरोध में उन्होंने अनशन की चेतावनी दी है.