ओबीसी का राजनीतिक आरक्षण हटने के लिए ठाकरे सरकार ही जिम्मेदार, पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री अहीर का आरोप

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    चंद्रपुर. पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री हंसराज अहीर ने यहां आरोप लगाया कि, स्थानीय निकायों के चुनावों में ओबीसी समाज को आरक्षण से वंचित रहने के लिए सर्वथा ठाकरे सरकार की लचर और निष्क्रिय कार्यप्रणाली ही जिम्मेदार है.

    एक पत्रपरिषद मे बोलते हुए अहीर ने आगे कहा कि, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत इस समाज का इम्पीरियल डेटा जमा करने का काम मुख्यतः राज्य सरकार का ही था,लेकिन यह सरकार अपनी जिम्मेदारी पूर्ण नहीं कर सकी. इस सरकार को सत्ता में बने रहने का कोई अधिकार नहीं है. उन्होंने कहा कि, यह सरकार ओबीसी समाज को न केवल गुमराह कर रही है, बल्कि उनका मजाक बना रही है.

    उन्होंने कहा कि, ठाकरे सरकार को अगर वास्तव में यह लगता है, कि, ओबीसी समाज को पूर्ववत आरक्षण मिलना चाहिए तो इसके लिए इम्पीरियल डेटा तैयार करने के लिए राज्य पिछड़े आयोग को जरूरी 450 करोड़ का निधि तुरंत मंजूर करना चाहिए. ओबीसी के राजनीतिक आरक्षण के लिए राज्य सरकार ने भले ही कोई अध्यादेश जारी किया हो लेकिन यह अध्यादेश सुप्रीम कोर्ट में टिक पाना मुश्किल है.

    अहीर ने कहा कि, राज्य चुनाव आयोग ने हाल ही में 86 नगर पालिकाओं के चुनाव में राज्य सरकार के इसी अध्यादेश के तहत ओबीसी का आरक्षण घोषित किया है, सरकार के इस अध्यादेश को हाई कोर्ट के औरंगाबाद खंडपीठ में चुनौती दी गयी है, अतः अब सब कुछ हाई कोर्ट के निर्णय पर ही निर्भर है.

    उन्होंने कहा कि आगामी फरवरी में राज्य में 85 प्रतिशत स्थानीय निकायों के चुनाव होने जा रहे है, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार अगर राज्य सरकार इन चुनावों में ओबीसी समाज को पक्का राजनीतिक आरक्षण नहीं दे पाई तो यह समाज अपने अधिकार से वंचित रहने का खतरा बरकरार है. और ऐसा हुआ तो यह समाज ताउम्र ठाकरे सरकार को माफ नहीं करेगा.