चंद्रपुर. ग्राम पंचायतों को पथदीप, जलापूर्ति योजना का बकाया 15वें वित्त आयोग के अनुदान से अदा करने को ग्राम विकास मंत्री हसन मुश्रीफ ने मंजूरी दी है. इसके चलते ग्राम पंचायत के पथदीप एवं जलापूर्ति योजना के बकाया राशि को अदा करने का मार्ग प्रशस्त हो गया है. बकाया बिलों के कारण जलापूर्ति एवं पथदीपों की बिजली आपूर्ति खंडित होने की नौबत नहीं आएगी. वित्त आयोग के अनुदान से बकाया राशि भरने को ग्राम पंचायतों द्वारा उदासीनता दर्शाने से केवल लापरवाही के कारण लोगों को पेयजल संकट और अंधेरा का सामना करना पड़ सकता है.
करोड़ों का बिल बकाया
चंद्रपुर परिमंडल में जलापूर्ति योजना के कारण वर्तमान वर्ष में 1 करोड़ 48 लाख एवं पिछले वर्ष के 2 करोड़ 97 लाख, शहरी एवं ग्रामीण पथदीपों के बिजली बिलों के रूप में दोनों जिलों के नगर पालिका एवं ग्राम पंचायतों को मिलाकर वर्तमान वर्ष में 13 करोड़ 7 लाख एवं पिछले वर्ष का बकाया कुल मिलाकर 222 करोड़ 39 लाख का बकाया है. इस बकाया राशि को भरने के लिए महावितरण ने ग्राम पंचायत, नगर परिषदों सहित सामान्य ग्राहकों को नोटिस भेज कर समय दिया था. पहले ही आर्थिक घाटे में चल रही महावितरण कंपनी को बिजली आपूर्ति खंडित करने के अलावा कोई चारा नहीं था. इसलिए महावितरण कंपनी ने सख्ती की चेतावनी दी.
आर्थिक स्थिति खराब
कोरोना काल में संपत्ति कर एवं पानी कर नागरिकों के पास प्रलंबित होने से पैसा नहीं होने का कारण सामने रखकर बकाया बिल भरने पर हाथ खड़े कर दिए हैं. वर्तमान में कोरोना परिस्थिति के कारण ग्रामीण क्षेत्र में अड़चनें निर्माण हुई हैं. अनेक स्थानों पर पथदीपों की एवं जलापूर्ति योजना के देयक अदा नहीं होने से विकट परिस्थिति निर्माण हुई है. इसके चलते वर्तमान स्थिति देखते हुए 15वें वित्त आयोग के अबंधित अनुदान से पथदीपों के देयक और बंधित अनुदान से जलापूर्ति योजना का देयक अदा करने के लिए जारी किए गए शासन परिपत्रक के तहत मंजूरी दी गई है. ग्राम पंचायतों को उन्हें प्राप्त हुई 15वें वित्त आयोग निधि से पथदीप एवं जलापूर्ति योजना के देयक अदा करनी है. इस निर्णय से ग्राम पंचातयों को बड़ी राहत मिली है.
80 प्रश निधि सीधे ग्रापं को
ग्राम पंचायत, पंचायत समिति एवं जिला परिषदों को क्रमश: 80:10:10 इस तरह से 15वें वित्त आयोग की निधि वितरित करने का निर्णय ग्राम विकास विभाग ने लिया है. इस निधि से सर्वाधिक 80 प्रश हिस्सा ग्राम पंचायतों को मिल रहा है. इसके चलते गांव के विकास में ग्राम पंचायत का सहभाग बढ़ा है. शेष निधि में से 10 प्रश निधि यह जिला परिषद को, जबकि 10 प्रश निधि यह पंचायत समिति को मिलेगी.