Chhath Puja 2023
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    माजरी. छठ महाव्रत के चारदिवसीय अनुष्‍ठान के लिए घरों में तैयारियां शुरू हो गई हैं. व्रती इस दौरान तन-मन से स्वच्छ होकर पूरी शुद्धता के साथ छठी मइया की पूजा करेंगे.

    लोक आस्था का महापर्व छठ महाव्रत का चार दिवसीय अनुष्‍ठान आज से नहाय-खाय के साथ शुरू होगा. पर्व को लेकर व्रतियों के साथ ही घरों में अभी से ही तैयारियां शुरू हो गई है. छठ करने वाले लगातार 36 घंटों तक उपवास रखते हैं.ये त्योहार चार चरणों में संपन्न होता है. छठ पूजा का पहला चरण होता है नहाय-खाय, जो कि आज से शुरू हो रहा है. 8 नवंबर से सुरु होने वाला छठ महापर्व 11नवम्बर को समाप्त होगा.

    कार्तिक शुक्ल की चतुर्थी को नहाय-खाय होगा. इस दिन पूरे घर की साफ-सफाई कर छठ वर्ती स्नान करेंगे. व्रती नदी, तालाब, कुआं, नहर में जाकर स्नान करेंगे और साफ-सुथरे कपड़े पहनेंगे. खाने में शुद्ध अरवा चावल, चने की दाल, लौकी की सब्जी और कद्दू ग्रहण किया जाएगा.

    इसी दिन व्रती बिस्तर में सोना त्याग देंगे और व्रत संपन्न होने तक बिस्तर में नहीं सोएंगे. इन चार दिनों तक नॉन वेज आदि से घर के सभी सदस्य दूर रहते हैं. 12 को खरना होगा। इस दिन गुड़ की खीर बनेगी.

    खीर खाने के बाद व्रर्ती भोजन त्याग देंगे. 10 नवंबर को डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा. इस दिन घरों में छठी मैया के भोग का प्रसाद बनता है. जिसमें ठेकुआ, काष्ठा, माल पुआ, चावल के लड्डू आदि पकवान बनाए जाएंगे.इस क्रम में निर्जला उपवास रख व्रती छठी मइया से घर-परिवार के लिए सेहत-नेमत और समृद्धि की मंगलकामना करेंगी.

      तेज हुई महापर्व की तैयारियां : दीपावली के खत्म होते ही बाजार में महापर्व छठ को लेकर तैयारियां शुरू हो गयी हैं.शहर का फल बाजार हो या ग्र्रोसरी, हर तरफ चहल-पहल और महापर्व छठ की तैयारियां जोरों पर है. इस दौरान जहां फल दुकानदार फलों के स्टॉक को लेकर सजग और सचेत हैं. तो वहीं ग्र्रोसरी दुकानदार गेंहू की क्वालिटी और साफ-सफाई का विशेष ध्यान रख रहे हैं.इस महापर्व को लेकर लोगों में काफी आस्था व्याप्त है. लोगों की इसी आस्था को ध्यान में रखते हुए शहर के ग्र्रोसरी दुकानदार शुद्धता के साथ-साथ साफ-सफाई का विशेष ध्यान रख रहे है.

    फलों की कीमत में आ सकता है उछाल छठ में फलों की खपत और उपलब्धता के अनुसार फलों की कीमतें ऊपर नीचे होती है.इस दौरान जहां फलों की अधिक उपलब्धता होने पर कीमतें 5 से 10 रुपये प्रतिकिलो तक कम होती है. वहीं खपत अधिक होने पर कीमतें कई गुणा बढ़ जाती है.