कुसूंबी आदिवासी का मुद्दा विधानसभा में गुंजेगा, गडचिरोली के विधायक डॉ. होली ने ली दखल

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    • त्रस्त आदीवासीयों से साधा संवाद 

    चंद्रपुर. जिवती तहसील के कुसूंबी व नोकारी गांव की खेती शासन ने तीन दशक पहले माणिकगड सिमेंट कंपनी को दी. परंतु उनमें से 24 आदिवासीयों की जमीन निजि होने से उन्हे दरकिनार किया था. उसके बाद आदिवासीयों की जमीन पर कंपनी ने चुनखडी का उत्खनन किया. इतनाही नही उस जमीन पर अवैध कब्जा किया. इसलिए आदिवासी बेघर हो गए.

    35 वर्ष लौटने के बावजूद कंपनी ने किसी भी प्रकार का मुआवजा नही दिया. इस संदर्भ में तलाठी विनोद खोब्रागडे ने इस विषय को उठाया. न्यायालयीन संघर्ष के पश्चात विभागीय आयुक्त ने अप्पर जिलाधिश के आदेश का अंतिम निर्णय होने तक स्थगिति देने से पिडीतों की आशाए जाग गयी है. इसकी गंभीर दखल अब गडचिरोली के डा. देवराव होली ने ली है. रविवार को उन्होने कुसूंबी गांव को भेट देकर पिडीत आदिवासी बांधवों से संवाद साधा. आगामी मान्सून अधिवेशन में यह मुद्दा उठाने का आश्वासन उन्होने आदिवासीयों को दिया है. 

    ऐसी है आदिवासीयों की आपबीति 

    कूसुंबी व नोकारी गांव के 643.62 हेक्टर जमीन नियम व शर्त अनुसार मानिकगड सिमेंट कंपनी को दी गई. उनमें से 24 आदिवासी की 63.62 हेक्टर जमीन को दरकिनार कर दिया था. परंतु इसके पश्चात भी कंपनी ने उन जमीन से चुनखडी का उत्खनन किया. यह जमीन लेकर भी कंपनी ने आदिवासीयों को जमीन का मुआवजा नही दिया. अथवा नोकरी नही दी.

    पिछले 36 वर्ष यह आदिवासी न्याय के लिए यहां_वहां चक्कर काट रहे है. इसलिए तलाठी विनोद खोब्रागडे ने कानूनन संघर्ष शुरू किया है. तत्कालिन तहसीलदार प्रशांत बेडसे ने 3 फरवरी 2021 को गैरकानूनी फेरफार क्रमांक 248 का कब्जा अवैध तरिके से कंपनी को दिया था. यह बात ध्यान में आते ही उपविभागीय अधिकारी समक्ष शिकायत कर उस आदेश खारिज किया गया.

    परंतु कंपनी ने इसके खिलाफ अति. जिलाधिश समक्ष अपील करते हुवे उपविभागीय अधिकारी के आदेश को खारिज करने की मांग की. परंतु यह अपील अति. जिलाधिश ने ठुकराया. परंतु महीने भर में ही जिला प्रशासन ने उपविभागीय अधिकारी के आदेश को खारीज करते हुवे प्रशांत बेडसे द्वारा बनाया गया फेरफार उचित होने के आदेश जारी किए. 

    दौरान विनोद खोब्रागडे ने विभागीय आयुक्त के पास अपील दायर की. आयुक्त ने पक्ष सुनकर अप्पर जिलाधिश के आदेश का अंतिम निर्णय होने तक स्थगिति दी है. इसलिए 24 आदिवासीयों के परिवार के एक सदस्य को नोकरी व उचित मुआवजा दिए जाने की मांग की है. तथा कंपनी के लाभ के लिए जो अधिकारी कार्य कर रहे है. उनपर एक्ट्रासिटी अंतर्गत अपराध दर्ज करने की मांग की. इस मांग पर प्रशासन ने कोई कार्रवाई नही की. इसलिए स्वयं आदिवासी विधायक डा. होली अब उन आदिवासीयों को न्याय मिलने तक इस मामले पर नजर रखेंगे. 

    शासन त्वरित दखल ले 

    कुंसुबी के 24 आदिवासी की 150 एकड जमिन पर जबरदस्ती से कब्जा कर आदिवासीयों को बिना मुआवजा दिए उन्हे वंचित रखना, उन्हे बेदखल करना व अवैध चुनखडी का उत्खनन कर बडे पैमाने में राष्ट्रीय संपत्ती का नुकसान, माणिकगड सिमेंट कंपनी व अल्ट्राटेक सिमेंट कंपनी के संचालक, चालक, मालक व भ्रष्टाचारी अधिकारी मिलभगत से कर रहे है. यहां के 8 से 15 एकड खेती के मालिक कुंसुबी के आदिवासीयों को रहने के लिए मकान तक नही है वह झोपडी में निवासीत है. इसकी गंभीर दखल शासन व सिमेंट कंपनी ने लेनी चाहीए ऐसी मांग न्यायालय में संघर्ष करनेवाले तलाठी विनोद खोब्रागडे ने किया है. 

    मान्सून अधिवेशन के पहले मंत्रालय में बैठक 

    पिडीत आदिवासी बांधवों के साथ संवाद करते समय विधायक डा. होली ने कहा मान्सून अधिवेशन में यह मुद्दा उपस्थित किया जायेगा. उसके पहले मंत्रालय में जुन महीने में महसूल विभाग की बैठक ली जायेगी. जिसमें जिलाधिश, जिवती तहसीदार, आयुक्त आदि उपस्थित रहेंगे. जुलाई महीने में विधान सभा में मुद्दा उपस्थित करेंगे. न्याय मिलने तक संघर्ष जारी रहेगा.

    डा. देवराव होली, विधायक, गडचिरोली