जिवती में इस साल भी कुदरत का कहर, कुंभेझरी गांव पानी में डूबा, महिला बही

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    • जोरदार बारिश से कई स्थान जलमय

    गडचांदूर: जिले के अंतिम सिरे पर स्थित अतिदुर्गम जिवती तहसील पर इस साल भी प्रकृति ने अपना असर दिखाया है. पिछले साल बादल फटने से हजारों हेक्टेयर खेती, मवेशी बह गए थे. इस साल अभी मानसून ने जोर भी नहीं पकडा है तो यहां शनिवार को बारिश के तांडव ने अपना असर दिखाया और कई  स्थान जलमय हो गए. नाले में एक महिला बह गई और कुंभेझरी गांव नाले में आयी बाढ से जलमय हो गया. इससे घरों का नुकसान हुआ.

    शनिवार की दोपहर को हुई मूसलाधार बारिश के कारण नाला ओवरफ्लो होकर कुंभेझरी गांव के अनेक घरों में पानी प्रवेश कर गया. लगभग 13 से 15 लोगों के घरों में पानी जाने से काफी नुकसान हो गया. खेत से घर लौट रही  येल्लापुर गांव की महिला काशीबाई निवृत्ति मोरताटे 60 नाले में बह गयी. जिसकी रविवार को लाश मिली.

    शनिवार की सुबह आसमान में बादल छाये हुए थे. दोपहर 4 बजे के दौरान अचानक मूसलाधार बारिश की शुरूआत हुई और देखते ही देखते नालों का जलस्तर बढने लगा. येल्लापुर की निवासी काशीबाई निवृत्ति मोरताटे नामक महिला खेत में काम के लिए गई थी. बारिश का असर देखने के बाद उसने घर की ओर कदम बढाये परंतु बीच रास्ते में नाला पार करते समय उसे जलप्रवाह का अंदाज नहीं था. और पैर फिसलने से वह बहते हुए आगे निकल गई.

    कुंभेझरी गांव में नाले के समीपस्थ स्थित 13 घरों में पानी जाने से यहां रहनेवाले केशव शिकारे, अनुसया ढगे, गोपाल अरेवार, माधव अरेवार, दत्ता अरेवार, हलकुडे, संगप्पा, वडीले, बालाजी आरेवार, सुमन कांबले, रतन गोसे, राठोड, भालेराव, रघुनाथ वाघमारे के घर का सारा सामान और अनाज पानी में भीग गया.

    इस बार मौसम कोई भीअंदाज नहीं लगा पा रहा है. कभी तेज गरमी पडती है तो कभी जोरदार बारिश अपना असर दिखाती है. ऐसा कुछ शनिवार की दोपहर हुआ. तहसील के चिखली खु., पाटागुडा, कुंभेझरी, नगराला, टेकामांडवा, सेवादासनगर, हिमाईतनगर, भारी, शेडवाही, नंदप्पा, परमडोली, पुडियाल मोहदा, वणी खु., करणकोंडी आदि गांव में एवं अन्य क्षेत्र में हुई जोरदार बारिश के कारण खेतों एवं घरों में पानी जाने से तालाब की स्थिति बन गई. नाले का पानी खेतों में जाने से कई हेक्टेयर खेत भूमि उखड गई. फसलें बर्बाद हो गई. जोरदार बारिश से  किसानों का भारी नुकसान हुआ. 

    चिखली खु. के निवासी नवनाथ पिटलेवाड, मच्छिंद्र सोलंके एवं दिगांबर मर्डेवाड के घर में पानी जाने से मूल्यवान वस्तूएं, अनाज, सारा सामान खराब हो गया. काफी बडे पैमाने पर उनका नुकसान हुआ. खेतों में पानी जाने से कपास, ज्वारी, सोयाबीन के अंकुरित फसले बह गई किसानों का भारी आर्थिक नुकसान हुआ है.  रविवार तक खेत तालाब की तरह नजर आ रहे थे.

    जिन लोगों का भारी नुकसान हुआ है उन्होने राजस्व और कृषि विभाग से तत्काल नुकसानग्रस्त क्षेत्रों ,खेतों का निरीक्षण करनुकसान भरपाई करने की मांग की है.  किसानों पर दोबारा बुआई का संकट आ गया है.