मुंबई: मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (CM Uddhav Thackeray) ने बंगलौर में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा का अपमान अत्यंत निंदनीय बताया। उन्होंने कहा, छत्रपति शिवाजी महाराज न केवल हमारे, बल्कि पूरे देश के देवता हैं। उनका अपमान बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। कर्नाटक के मराठी लोगों पर कन्नड़ अत्याचारों को रोककर इस जघन्य और विकृत रवैये को समाप्त करने के लिए प्रधानमंत्री को तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए और राज्य सरकार को इसमें शामिल लोगों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करने के लिए कहना चाहिए।
बता दें कि कर्नाटक के बेलगाम में कथित तौर पर छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा पर काली स्याही फेंकी गई। जिसके बाद राजनीतिक घमासान शुरू हो गया है।
तसेच कर्नाटकातील मराठी जनतेवरील कानडी अत्याचार थांबवून या हिणकस, विकृत मनोवृत्तीचा बीमोड करण्यासाठी पंतप्रधानांनी स्वतः लक्ष घालून तेथील राज्य शासनाला त्वरित संबंधितांवर कडक कारवाई करण्यास सांगावे, अशा तीव्र शब्दांत मुख्यमंत्र्यांनी भावना व्यक्त केल्या.
— CMO Maharashtra (@CMOMaharashtra) December 18, 2021
प्रधानमंत्री बिना देर किए तत्काल कार्रवाई का आदेश दें
मुख्यमंत्री ने कहा कि,राज्य में चाहे किसी की भी सरकार हो, देवता नहीं बदलते। कर्नाटक के मराठी लोगों पर कन्नड़ अत्याचारों को रोककर इस जघन्य और विकृत रवैये को समाप्त करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए और राज्य सरकार को इसमें शामिल लोगों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करने के लिए कहना चाहिए।
भाजपा शासित कर्नाटक में छत्रपति का अपमान किया गया और कार्रवाई नहीं की गई
उन्होंने कहा, ‘बेंगलुरु में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा को लेकर जो घटना हुई है उसकी गहनता से जांच होनी चाहिए। इस तरह की घटना को नजर अंदाज न करें। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कर्नाटक में पिछले कई सालों से मराठी भाइयों पर अत्याचार हो रहे हैं और अब शिवराय जैसे हमारे देवता को अपवित्र करने की घटना हो रही है और वहां की सरकार इस पर आंखें मूंद रही है।”
उद्धव ठाकरे ने कहा कि, हाल ही में वाराणसी के काशी विश्वेश्वर मंदिर में पीएम नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में कहा था कि जब भी देश की संस्कृति को कुचलने का प्रयास किया गया। तब छत्रपति शिवाजी महाराज जैसे शक्तिशाली राजाओं का जन्म हुआ। इस बात को कुछ दिन नहीं हुए और बीजेपी शासित राज्य में ऐसी घटना होना बहुत ही निंदनीय और अपमानजनक है। जहां पर कोई कार्रवाई किए बिना मराठी लोगों की आवाज दबाने की कोशिश की जा रही है।