मुंबई: पूर्व सांसद नीलेश राणे (Nilesh Rane) और अन्य के खिलाफ महाराष्ट्र (Maharashtra) के सिंधुदुर्ग जिले में एक अदालत (Court) के बाहर कोविड-19 मानदंडों का उल्लंघन करने और एक लोक सेवक को अपने कर्तव्य के निर्वहन करने से रोकने के मामले में प्राथमिकी दर्ज की गई है। एक अधिकारी ने बुधवार को बताया कि पूर्व केन्द्रीय मंत्री नारायण राणे के बेटे नीलेश राणे और कुछ अन्य लोग मंगलवार को उस अदालत के पास एकत्रित हो गए थे, जिसने एक मामले में नीलेश के भाई एवं भारतीय जनता पार्टी के विधायक नितेश राणे की जमानत याचिका खारिज कर दी थी।
अदालत के पास नीलेश राणे और पुलिस के बीच कथित तौर पर बहस हो गई थी। अधिकारी ने बताया कि इसके बाद, मंगलवार शाम ओरोस थाने में पूर्व सांसद और कुछ अन्य लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 186, 188, 269, 270 और आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई। महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग जिले की एक अदालत ने हत्या के प्रयास के एक मामले में भारतीय जनता पार्टी के विधायक नितेश राणे की जमानत याचिका मंगलवार को खारिज कर दी थी।
अदालत ने कहा था कि याचिका ‘‘समय से पहले दायर की गई है तथा सुनवाई के योग्य नहीं है।” इससे पहले, बंबई उच्च न्यायालय ने 17 जनवरी को मामले में नितेश राणे को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया था। उनकी याचिका में दावा किया गया था कि उन्हें फंसाया जा रहा है और यह उनके तथा उनके पिता के खिलाफ यह मामला ‘‘सत्तारूढ़ व्यवस्था के इशारे पर राजनीतिक प्रतिशोध या प्रतिद्वंद्विता से प्रेरित” है। नीतेश राणे के खिलाफ यह मामला बैंक चुनाव के प्रचार के दौरान स्थानीय शिवसेना कार्यकर्ता संतोष परब पर कथित हमले से जुड़ा है।