मुंबई: पूर्व भारतीय क्रिकेटर (Team India) विनोद कांबली (Cricketer Vinod Kambli) के ऑनलाइन फ्रॉड (Online Fraud) का शिकार हुए हैं। ऑनलाइन फ्रॉड में उनके बैंकिंग कार्ड खाते से 1.14 लाख रुपये निकालने का मामला सामने आया है। रिपोर्ट्स के अनुसार, 3 दिसंबर को कई उनके अकाउंट से कई फ़र्ज़ी ट्रांसेक्शन (Fake Transaction) हुए किए गए। जिसके बाद इस मामले में मुंबई (Mumbai) के बांद्रा पुलिस (Bandra Police) और मुंबई साइबर सेल (Cyber Cell) ने जांच शुरू की और एक निजी बैंक की मदद से कांबली के खाते से निकाली गई रकम उनके खाते में वापस करने में कामयाबी मिली है।
टाइम्स ऑफ़ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कांबली को एक शख्स ने कॉल कर अपने आप को एक निजी बैंक के एक कार्यकारी बताया और केवाईसी अपडेट करने के लिए बैंकिंग विवरण साझा करने के लिए कहा। कॉल करने वाले ने कांबली से कहा कि, अगर वे केवायसी अपडेट नहीं करते तो उनका कार्ड बंद हो सकता है। कॉल करने वाला जालसाज उन्हें डराने में कामयाब रहा और इससे पहले कि वह कुछ समझ पाते उसने केवाईसी अपडेट करने के लिए उसे “एनी डेस्क” ऐप डाउनलोड कर दिया।
Mumbai: An FIR registered at Bandra Police Station, against unidentified person, based on a complaint by former cricketer Vinod Kambli of being duped of Rs 1,13,998 on the pretext of KYC update.
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— ANI (@ANI) December 10, 2021
कांबली के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि उन्होंने बताया कि, हमें हमारे पैसे वापस कर दिए गए हैं, लेकिन इस तरह के कई मामलों में, ज्यादातर लोग ऐसे स्कैमर और धोखाधड़ी का पता नहीं लगा पाते हैं। मैं साइबर सेल से मिले समर्थन से वास्तव में खुश हूं और इस तरह के अपराधों को रोकने और जागरूकता पैदा करने के लिए आगे की जांच के लिए उनका पूरा समर्थन कर रहा हूं।
बताया जा रहा है कि, कांबली के साथ यह धोखाधड़ी 3 दिसंबर को हुई थी। मामले में शिकायत मिलने के बाद कार्रवाई की गई। बांद्रा पुलिस की साइबर टीम ने कांबली के खाते से जिन खातों में पैसे जमा किए थे उनका ब्योरा जुटाने के लिए बैंक से ब्योरा मांगा है और कॉलर को ट्रैक करने के लिए कॉल रिकॉर्ड के विवरण की जानकारी एकत्र करने की फिलहाल प्रक्रिया जारी है।
रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस ने कहा कि धोखाधड़ी करने वाले ने कांबली को ऐप डाउनलोड करने के बाद धोखाधड़ी की। कांबली के डिवाइस से छेड़छाड़ की गई थी, ऐप डाउनलोड करने के बाद ऐप इंस्टॉल हुआ और ओटीपी साझा शेयर करने के बाद धोखेबाजों को उनके मोबाइल तक का रिमोट एक्सेस ले लिया था। पुलिस ने कहा कि बैंकों ने चेतावनी दी है कि वे ओटीपी कभी साझा न किया करें और अगर किसी को अगर बैंक से जुड़ी निजी जानकारी मांगने वाली कॉल आती है तो उसे कुछ भी साझा नहीं करना चाहिए।