Sero Survey Updates

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    मुंबई. डिपार्टमेंट ऑफ हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर के सहयोग से इंडियन मेडिकल काउंसिल ऑफ रिसर्च (ICMR) द्वारा सोमवार से महाराष्ट्र (Maharashtra) के 6 जिलों में चौथा सीरो सर्वे (Fourth Sero Survey) की शुरुआत हो गई है। इस सीरों सर्वे में करीब 3000 सैंपल (Sample) लिए जाएंगे और यह पता किया जाएगा कि कितने इस वायरस (Virus) से प्रभावित हो कर चले गए हैं।

    राज्य में कोरोना (Corona) की दूसरी लहर (Second Wave) ने लाखों लोगों को अपनी चपेट में लिया। हजारों लोगों को अपनी जान भी गंवानी पड़ी। कई लोग ऐसे भी है जिन्हें वायरस ने जकड़ा, लेकिन उन्हें किसी प्रकार की कोई स्वास्थ्य समस्या नहीं हुई है। यानी वे वायरस से संक्रमित हुए और उन्हें पता भी नहीं चला। उक्त व्यक्ति के शरीर में कोरोना वायरस से लड़ने के लिए एंटीबॉडीज तैयार हो जाती है। सीरो सर्वे में यह पता किया जाता है कि वायरस किस हद्द तक फैला है। 

    प्रत्येक जिले से 400 सैंपल इक्कठा किया जाएगा

    चौथे सीरो सर्वे के नोडल ऑफिसर और स्टेट सर्विलांस अधिकारी डॉ. प्रदीप आवटे ने बताया कि सीरो सर्वे के लिए 6 जिलों का चयन किया गया है, जिसमें बीड, नांदेड़, परभणी,जलगांव, अहमदनगर, और सांगली का समावेश है। प्रत्येक जिले से 400 सैंपल इक्कठा किया जाएगा, इसके अलावा प्रत्येक जिलो के अस्पतालों में कार्यरत 100 हेल्थकेयर वर्कर्स का सैंपल भी जांच के लिए लिया जाएगा। कुल मिलाकर 3000 सैंपल की जांच की जाएगी।

    720 बच्चों के सैंपल लिए जाएंगे

    तीसरी लहर को लेकर एक्सपर्ट्स का मानना है कि बच्चे इससे ज्यादा प्रभावित हो सकते हैं। ऐसे में चौथे सीरो सर्वे में 6 से 18 वर्ष के बच्चों का समावेश किया गया है। इस सीरो सर्वे में 6 जिलों के 720 बच्चों के सैंपल भी लिए जाएंगे। इस सीरो सर्वे में पता चलेगा कि राज्य के कितने बच्चों को वायरस छू कर चला गया और उन्हें पता भी नहीं चला।

    सीरो सर्वे कितना जरूरी है?

    कोरोना महामारी पूरे चिकित्सा जगत के लिए नई है। इसके बारे में वैज्ञानिकों और डॉक्टरों के पास पहले से कोई जानकारी मौजूद नहीं है। इसलिए महामारी से जुड़े बुनियादी सवालों का जवाब पता करने के लिए सीरो सर्वे किया जाता है ताकि भविष्य में बीमारी से लड़ने की रणनीति तैयार की जा सकें। सीरो सर्वे के जरिए वैज्ञानिक और डॉक्टर इन सवालों के जवाब पता करने की कोशिश करते हैं। जिन लोगों में एंटीबॉडी बनी है, वे इन्फेक्शन रोकने दीवार की तरह काम करते हैं। इसे हर्ड इम्यूनिटी कहते हैं। सीरो सर्वे से इसका पता लगाने में मदद मिलती है। सीरो सर्वे से पता चलता है कि देश की कितनी प्रतिशत आबादी में एंटीबॉडी है। एक्सपर्ट्स की मानें तो जब 60-70% आबादी में एंटीबॉडी विकसित हो जाएगी, तब हर्ड इम्यूनिटी बन जाएगी। देश के किन इलाकों में और किस उम्र के लोगों में इन्फेक्शन ज्यादा है? कितने लोग कोरोना से इन्फेक्ट हुए और इन्फेक्टेड लोगों में एंटीबॉडी कब तक रहेगी।