जिले में 34 हजार 805 सिकलसेल मरीज

  • अनुसूचित जनजाति में सिकलसेल का अधिक प्रमाण

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गडचिरोली. जिले में सिकलसेल बिमारी कहर कायम होकर इस बिमारी का प्रमाण अनुसूचित जनजाति में अधिक होने की बाद निदर्शन में आयी है. जिले में फिलहाल 34 हजार 805 सिकलसेलग्रस्त मरीज होने की जानकारी प्राप्त हुई है. 

रक्त की पेशीयों में बदलाव होने के बाद सिकलसेल बिमारी का निदान होता है. विगत कुछ वर्षो में इस बिमारी ने उग्र रूप धारण किया है. जिससे वर्ष 2001 में राष्ट्रीय स्वास्थ्य अभियान में सिकलसेल बिमारी नियंत्रण कार्यक्रम का समावेश किया गया है. वर्ष 2013 में महाराष्ट्र बाल निती में तथा इसी वर्ष महाराष्ट्र महिला निति में सिकलसेल बिमारी का समावेश किया गया है. प्राप्त जानकारी के अनुसार जिले में अनुसूचित जनजाति के ‘एएस’ पॅटर्न के 14732 तथा ‘एसएस’ पॅटर्न के 1132 मरीज है. अनुसूचित जाती के ‘एएस’ पॅटर्न के 10367 तथा ‘एसएस’ पॅटर्न के 890 मरीज है. ओबीसी व अन्य समाज के ‘एएस’ पॅटर्नचे 7195 तो  ‘एसएस’ पॅटर्न के  480 मरीज होने की जानकारी प्राप्त हुई है. 

सिकलसेल मरीजों को विशेष सुविधाएं आपूर्ति किए जाते है. सभी स्वास्थ्य केंद्र में फॉलिक ऍसिड की गोलीयां निशुल्क दिए जाते है. 10 वी, 12 वी व महावद्यिालयीन छात्रों को परक्षिा में पर्चा हल करते समय 20 मिनट का अधिक समय मिलता है. सिकलसेल मरीजों को सशक्तीकरण के लिए दव्यिांगजनों के प्रवर्ग में समावष्ठि किया गया है. सिकलसेल मरीज व उनके मदतनिस को एसटी बस मं निशुल्क यात्रा की सुविधा उपलब्ध कराई गई है. सिकलसेल मरीजों को निशुल्क रक्त आपूर्ति, दवाउपचार किया जाता है. राज्य रक्त संक्रमण परिषद की ओर से सिकलसेल पहचानपत्र तैयार किया जाता है. 

विवाह पूर्व करे सिकलसेल की जांच-डा. कटरे 
सिकलसेल की बिमारी अनुवांशिक है. माता-पिता से बच्चों को यह बिमारी होती है. अपने रक्त में लाल पेशी व सफेद पेशी ऐसे 2 तरह के पेशी होते है. आम व्यक्ति के शरीर में लाल रक्तपेशी का आकार गोल रहता है. सिकलसेल बिमारी में इस पेशी का आकार आक्सिजन की आपूर्ति नहीं होने से तेढा रहता है. विवाह के पूर्व तथा विवाह के बाद दम्पत्ती रक्त की जांच करे तथा सिकलसेलग्रस्त अपत्य को जन्म देना टाले ऐसा आह्वान कुरखेडा येथील आरोग्य धाम संस्था के अध्यक्ष डा. रमेश कटरे ने किया है.